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IMF के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, भारत उम्मीद की किरण, पर एनपीए चुनौती

नयी दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने आज आर्थिक ताकतों के जटिल जोड़ के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण बताया. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चुनौती है. मौरिस ने बु्रकिंग्स इंडिया द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘आर्थिक ताकतों का जटिल जोड लगातार सुस्त आर्थिक वृद्धि के परिदृश्य को आकार दे...

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अगले 20 वर्षो में पानी और बिजली में 50 फीसदी कटौती करने पर ध्यान देगी केंद्र सरकार

नयी दिल्ली : पानी और बिजली के इस्तेमाल को घटाकर आधा करना और नवीकरणीय उर्जा और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहन देना अगले 20 वर्षों के लिए सरकार की शहरी विकास रणनीति के प्रमुख तत्व हैं. यह बात आज जारी एक रिपोर्ट में कही गई है. आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने विश्व आवास दिवस पर आज इंडिया हैबिटाट थ्री- नेशनल रिपोर्ट जारी की . यह...

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बंद होंगे घाटे वाले डेढ़ दर्जन सार्वजनिक उपक्रम

नई दिल्ली। लंबित आर्थिक सुधारों को लागू करने के बाद सरकार घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्र ने घाटे में चल रहे करीब डेढ़ दर्जन पीएसयू को बंद करने का फैसला किया है। इनमें से कम से कम आधा दर्जन पीएसयू को बंद करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट मुहर लगा सकती है जबकि शेष को बंद करने की...

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अब हवा सांस लेने लायक नहीं

दुनियाभर में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के खतरनाक प्रभाव का विश्लेषण करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल' की संज्ञा दी है. वायु प्रदूषण से बड़ी संख्या में मौताें और बीमारियों से सबसे प्रभावित विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं, लेकिन विकसित देश भी इससे बेअसर नहीं हैं वैश्विक जनसंख्या का 90 प्रतिशत से अधिक भाग प्रदूषित हवा में सांस लेने के लिए अभिशप्त है. यह अच्छी...

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अजब चिकनगुनियामय देश हमारा - मृणाल पांडे

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पुणे, लखनऊ और चंडीगढ़ जैसे कई बड़े शहर इन दिनों चिकनगुनिया, डेंगू और तमाम तरह की बरसाती पानी के जलभराव से उपजी महामारियों के शिकार हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में तिल धरने की जगह नहीं, घर-घर लोग तड़प रहे हैं और तमाम उपलब्ध सरकारी-गैरसरकारी अस्पताल नाकाफी साबित हो रहे हैं। अधिकतर बीमार शहरी मलिन बस्तियों के वे गरीब हैं, जो हर तरह की नागर सुविधा...

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