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बाढ़ का कहर: प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, कंधे पर लादकर पहुंचाया अस्पताल

उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री के शुक्रवार को आगमन को लेकर तैयारियों में दिन रात एक किए हुए प्रशासन ने प्रसूता की खबर नहीं ली। बुधवार की देर रात प्रसूता बाढ़ राहत केन्द्र के पास ही सड़क पर तड़पती रही और केन्द्र पर तैनात कर्मी व अधिकारी तमाशबीन बने रहे। आखिर में रात के अंधेरे में उसे पैदल व कन्धे पर लाद कर उपकेन्द्र चन्द्रभानपुर तक पहुंचाया गया। रात 11 बजे...

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बेरहम जमाने में घरेलू हिंसा का दाग - मृणाल पांडे

बीते हफ्ते जब मानसून सत्र में संसद गोकशी, कथित गोरक्षकों द्वारा मचाए गए तांडव और सर्वोच्च न्यायालय भारतीय नागरिकों के निजता अधिकार की परिधि पर बहस में मुब्तिला थे, तभी एक सफल और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर असमिया मॉडल द्वारा पति के हाथों कथित रूप से प्रताड़ित हो आत्महत्या करने की लोमहर्षक रपट भी सुर्खियों में थी। बॉलीवुड की एक युवा अभिनेत्री जिया खान की कथित आत्महत्या भी अब तक...

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गोरक्षकों की कारगुजारियों का काला चिट्ठा खोल रहा विकिपीडिया

गूगल सर्च इंजन भूमंडलीकरण आैर डिजिटाइजेशन के इस युग में दुनियाभर के लोगों में काफी लोकप्रिय है. किसी भी चीज के बारे में जानकारी हासिल करनी हो, तो गूगल सर्च इंजन पर बनाया गया विकिपीडिया काफी उपयोगी साबित होता है. पहले विकिपीडिया गूगल की आेर से ही तैयार किया जाता था, लेकिन अब लोग खुद भी गूगल पर विकिपीडिया बना सकते हैं. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महारत हासिल करने वालों का...

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मानवाधिकार आयोग ने कहा जीप पर बंधे अहमद को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के राज्य मानवाधिकार आयोग की ओर से सोमवार को राज्य सरकार को आदेश दिया गया कि पथराव के दौरान आर्मी द्वारा ह्यूमन शील्ड बनाए गए शख्स को बतौर मुआवजा 10 लाख रुपये की राशि दिया जाए। आयोग की ओर से इसके लिए सरकार को 6 माह का समय भी दिया गया है। मानवाधिकार का फैसला राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस बिलाल नाजकी ने राज्य सरकार को पथराव जैसी...

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किस दिशा में जा रहा समाज-- महेश तिवारी

इस सभ्यता को हुआ क्या है। कहीं हिंसात्मक माहौल है, कहीं बर्बरता की सीमा लांघी जा रही है। क्या यही लोकतांत्रिक व्यवस्था है? जिस समाज की सभ्यता और संस्कृति के रग-रग में आपसी भाईचारा और वसुुधैव कुटुम्बकम की भावना समाहित है, अगर उस समाज में बर्बरता की प्रवृत्ति बढ़ रही है और सारा परिवेश हिंसा से आक्रांत नजर आ रहा है तो फिर इसके कारणों पर विचार करना बहुत जरूरी...

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