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बने रोजगारपरक कर-प्रणाली--भरत झुनझुनवाला

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने चेतावनी दी है कि आनेवाले समय में भारत में बेरोजगारी की समस्या गहराती जायेगी. पिछले दो दशक में भारत में तीव्र आर्थिक विकास हुआ था.  इस अवधि में 30 करोड़ युवाओं ने प्रवेश किया. तीव्र विकास के बावजूद इनमें आधों को ही रोजगार मिल सका है. ये सीमित रोजगार भी मुख्यतः असंगठित क्षेत्र में मिले, जैसे रिक्शा चलाने में अथवा कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में. ऐसे...

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कहां चले गये रोजगार?- डॉ भरत झुनझुनवाला

राज्यों में चल रहे चुनावों में भाजपा ने रोजगार के नाम पर वोट मांगे हैं. रोजगार सृजन के दो उपाय हैं. एक उपाय है कि बड़े उद्योगों पर टैक्स लगा कर छोटे उद्योगों को संरक्षण दिया जाये. छोटे उद्योगों में रोजगार ज्यादा उत्पन्न होते हैं. दूसरा उपाय है कि बड़े उद्योगों को पहले छोटे उद्योगों को नष्ट करने दिया जाये. इसके बाद मनरेगा जैसी योजनाओं से रोजगार उत्पन्न किया जाये....

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मजदूर होने का मतलब- डा अनुज लुगुन

अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता में ओवरब्रिज के गिरने से 22 लोगों के मरने की खबर आयी थी. मरनेवालों में ज्यादातर मजदूर थे. इनमें से एक उत्तर प्रदेश निवासी शंकर पासवान भी था, जो मोटिया का काम करता था. वह होली में अपने घर इसलिए नहीं गया, ताकि वह कुछ दिन और काम करके बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा कर सके. यह हमारे देश के मजदूरों...

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कन्हैया नहीं, जॉब की कमी खतरा-- गुरुचरण दास

भारतीय राजनीतिक जीवन अजीब और विडंबनाअों से भरा है। छात्र नेता कन्हैया कुमार को राजद्रोह और राष्ट्र-विरोधी आचरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी ने उन्हें हीरो बना दिया। इसे असहमति व्यक्त करने की स्वतंत्रता का प्रतीक माना गया। गृह मंत्री ने गिरफ्तारी का यह गलत तर्क देकर बचाव किया कि असाधारण लोकतांत्रिक देश अमेरिका भी राष्ट्र विरोध को सहन नहीं करता। गिरफ्तारी पर लगातार विरोध ने मीडिया का...

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कितने बदल रहे हैं हमारे गांव-- आर विक्रम सिंह

समस्याएं चिह्नित करना एक बात है, समाधान के रास्ते खोजना दूसरी बात। हमारे गांवों में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, बीमारियां हैं, जमीनों के विवाद, मुकदमे हैं। जात-पांत की सामाजिक समस्याएं बरकरार हैं। हां, शोषण का वह रंग अब नहीं है, जो प्रेमचंद के उपन्यासों में मुखर होता है। कथित उच्च वर्ग में श्रम से अरुचि, दलित वर्ग में शिक्षा से अरुचि भी वहीं की वहीं है। नगरों की ओर पलायन...

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