नदियां हमारी संस्कृति की खेवनहार हैं. ये महज जल का स्रोत नहीं, बल्कि हमारे सुख-दुख की साथी हैं. लेकिन विकास की अंधी दौड़ में हम इन्हें इतना गंदा कर चुके हैं कि अधिकांश नदियां अब किसी काम की नहीं रह गयी हैं. पितृपक्ष पर पितरों को तर्पण के लिए यमुना के केशीघाट पर पहुंचे आइआइटी मद्रास के सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्रीश चौधरी का कैसा रहा अनुभव, आइए जानें श्रीश...
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उच्च शिक्षा की होड़ से पहले- चंदन श्रीवास्तव
उच्च शिक्षा-संस्थानों में कौन कितना बेहतर है, यह निर्धारित करने के लिए सरकार ने एक देसी फ्रेमवर्क बनाया है. संस्थानों को उनकी श्रेष्ठता के क्रम में ऊपर से नीचे सजाने की तरकीब आकर्षक लग सकती है और जरूरी भी. जो अभिभावक अपने होनहारों की उच्च शिक्षा पर बरसों की जमा रकम खर्च करने का फैसला लेते हैं, या फिर जो छात्र अपनी पढ़ाई के लिए सूद की ऊंची दरों पर...
More »आय में इतनी असमानता क्यों- जयंतीलाल भंडारी
बेशक अभी वैश्विक सुस्ती के बीच भारत की सात फीसदी से अधिक विकास दर चमकती दिखाई दे रही है, लेकिन सामाजिक सुरक्षा के परिदृश्य पर बढ़ती हुई निराशा भी स्पष्ट है। हाल ही में ग्लोबल एचवाच इंडेक्स द्वारा जारी वैश्विक सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट में 96 देशों की सूची में भारत को 71वें स्थान पर रखा गया है। रिपोर्ट में भारत के सामाजिक सुरक्षा परिदृश्य पर चिंता जताई गई है। खासतौर...
More »कम हो पाएगा स्कूली बस्तों का बोझ?- उमेश चतुर्वेदी
राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरते हुए ढेर सारे वायदे करते हैं। लेकिन अगर वे चुनाव जीतकर सरकार बना लेते हैं, तो तमाम वायदे भूलने लगते हैं। स्कूली बस्ते से बोझ हटाने का वायदा भी ऐसा ही है। करीब 27 साल से लटकी इस योजना को अब तक किसी सरकार ने गंभीरता से लागू करने की कोशिश नहीं की। पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले दिनों यह घोषणा...
More »संस्कृति मंत्री महेश शर्मा की दलील, स्कूलों में पढाया जाना चाहिए रामायण-महाभारत
नयी दिल्ली : उत्तरप्रदेश के गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद व केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि स्कूलों में रामायण व महाभारत को अनिवार्य रूप से पढाया जाना चाहिए. ध्यान रहे कि कि महेश शर्मा मशहूर डॉक्टर भी हैं और उनकी उस रूप में ख्याति है. उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि वे बाइबल व कुरान का सम्मान करते हैं,...
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