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ऐसे संघर्ष का औचित्य क्या है- विनोद कुमार

जनसत्ता 15 जून, 2013: बूर्जुआ राजनीतिक दलों और पुलिस प्रशासन की नजर में उग्रवादी, आतंकवादी, नक्सली और माओवादी, सभी एक हैं। उनकी नजर में तो यथास्थितिवाद का विरोध करने वाला हर आदमी नक्सली है। लेकिन इन सब में फर्क है। सबों के राजनीतिक दर्शन और लक्ष्यों में अंतर है। मोटे रूप में कहा जाए तो देश में सक्रिय उग्रवादी और आतंकवादी संगठन देश का विखंडन चाहते हैं, अलग देश की...

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खरीफ में ग्वार का उत्पादन बढऩे के आसार

अच्छे मानसून से ग्वार की बुवाई को बढ़ावा मिलेगा : कारोबारी मौजूदा खरीफ सीजन में बेहतर मानसून की संभावना से देश में ग्वार की पैदावार बढऩे के आसार हैं। कारोबारियों का कहना है कि अच्छी बारिश होने से तो ग्वार की पैदावार को बढ़ावा मिलेगा ही, इस साल ग्वार के भाव अच्छे रहने से भी किसानों की दिलचस्पी बढ़ेगी। ग्वार गम की ज्यादातर खपत तेल व गैस उत्खनन में किया जाता...

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उत्तर भारत में कपास का रकबा 15 फीसदी घटने का अनुमान

चालू खरीफ सीजन में अभी तक 7.15 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई मोह भंग - पिछले साल कपास की आवक के समय उत्पादक मंडियों में दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चले गए थे जबकि धान और ग्वार का अच्छा भाव मिला था। इसलिए किसानों की दिलचस्पी धान और ग्वार की खेती में ज्यादा है। राज्यों में बुवाई हरियाणा में कपास की बुवाई 1.50 लाख हैक्टेयर में पंजाब में हुई...

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सूखाग्रस्त महाराष्ट्र में बाग-बगीचे बचाने के लिए 256 करोड़ रुपए मंजूर

नयी दिल्ली (भाषा)। सूखे के विषय पर कृषि मंत्री शरद पवार की अध्यक्षता में गठित अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह ने महाराष्ट्र में बाग-बगीचों को बचाने के लिए 256 करोड़ रुपए की अतिरिक्त सहायता को आज मंजूरी दी। पवार ने बैठक के मंत्रिसमूह की बैठक के बाद प्रेट्र से कहा, ‘ महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित जिलों में बाग-बगीचों को बचाने के लिए 256 करोड़ रच्च्पए की अतिरिक्त सहायता देने के प्रस्ताव...

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भूमि अधिग्रहण और आदिवासी

जनसत्ता 1 मई, 2013: आजकल भूमि अधिग्रहण विधेयक की चर्चा जोरों से चल रही है। वन अधिनियम पहले ही पास कराया जा चुका है। ये दोनों ही कदम आदिवासियों के जीवन को प्रभावित करने वाले हैं। जयराम रमेश का मंत्रालय बार-बार बदला जाना एक विडंबना ही है। जब-जब उन्होंने अपने मंत्रालय से कोई जन-भावन कदम उठा कर हस्तक्षेप करना चाहा, उनका मंत्रालय ही बदल दिया गया! चाहे वह वन या...

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