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कितने जानवरों को टीके लगे, विभाग को पता नहीं

पटना: पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एएससीएडी या ऐसकैड (पशु में बीमारियों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता) प्रोग्राम के तहत बड़ी मुहिम चलाने की योजना है. इसमें पशु टीकाकरण के अलावा पशु अस्पतालों का निर्माण, कर्मचारियों का प्रशिक्षण समेत कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य कराने हैं. पशुओं को एचएसबीक्यू (लंगड़ी और गलाघोंटू), एफएमडी (खुरहा व मुंह पका) और पीपीआर (खासतौर से बकरियों में होनेवाली जानलेवा बीमारी) जैसे...

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निजी अस्पतालों में भी बंध्याकरण व नसबंदी पर अब मिलेंगे पैसे

पटना: निजी अस्पतालों में महिला बंध्याकरण व पुरुष नसबंदी करानेवाले लोगों को भी अब सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. यह आदेश एक नवंबर से ही प्रभावी हो गया है, जबकि निर्णय की कॉपी बुधवार को बिहार के सभी सिविल सजर्नों को भेज दी गयी. दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में महिला बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी करानेवाले लाभार्थी को मिलनेवाली रकम को सरकार ने 600 से बढ़ा कर 1400 और...

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पेयजल व शौचालय निर्माण के लिए जितनी जरूरत होगी देगा केंद्र, खर्च तो करे राज्य सरकार: रामकृपाल

पटना: केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि बिहार में पेयजल और शौचालय के निर्माण के लिए जितनी राशि की जरूरत होगी, केंद्र देने को तैयार है. हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पेयजल, शौचालय निर्माण और सोलर लाइट के लिए जो राशि उपलब्ध करा रही है, उसे खर्च नहीं किया जा रहा है. प्रभात खबर के दफ्तर में मंगलवार की शाम आये केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा...

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पीएमओ ने झारखंड सरकार से पूछा क्या हुआ प्रस्तावित वाटर ग्रिड परियोजना का ?

रांची: झारखंड के प्रस्तावित वाटर ग्रिड परियोजना पर अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से नजर रखी जा रही है. पीएमओ की ओर से यह पूछा गया है कि पिछले वर्ष वाटर ग्रिड योजना के डीपीआर (विस्तृत प्रगति प्रतिवेदन) बनाने के लिए निकाली गयी निविदा का क्या हुआ. इसमें क्या प्रगति है. केंद्र सरकार ने स्वच्छ गंगा अभियान के तहत भी चलाये जा रहे कार्यक्रमों का ब्योरा मांगा है. इसमें कहा गया है...

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नसबंदी कांड की कड़ियां- कनक तिवारी

जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...

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