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डेल्टा प्लस वेरिएंट: क्या कोरोना की तीसरी लहर को रोक सकता है भारत?

-बीबीसी, भारत ने अब धीरे-धीरे खुलना शुरू कर दिया है. अप्रैल और मई में कोरोना की दूसरी 'बेहद भयंकर' लहर ने देश में भारी तबाही मचाई, लेकिन जून में संक्रमण की दर कम होती देख प्रशासन ने अधिकांश राज्यों में कोरोना से संबंधित प्रतिबंध या तो हटा लिए हैं या बहुत मामूली प्रतिबंध लागू हैं. जबकि जानकार कह रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर अगले कुछ ही महीने में दस्तक दे...

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वेतन में कटौती, ‘फीस मिलने में मुश्किलें आ रहीं’—कोविड का लंबा खिंचना निजी स्कूलों की चिंता का सबब बना

-द प्रिंट, कोविड महामारी के कारण पिछले करीब एक साल से अधिक समय से स्कूल बंद हैं, और कक्षाएं ऑनलाइन लग रही हैं, इससे देशभर में शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है—और ऐसा नहीं है कि इसका खामियाजा अकेले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. इससे निजी स्कूल विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं, और कई स्कूलों के लिए तो अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करना भी मुश्किल हो गया...

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मनरेगा में जातिगत एडवाइजरी: दलित-आदिवासी के लिए न रहेगा फंड, न मिलेगा रोजगार!

-जनपथ, इस वर्ष के अप्रैल माह में छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में मनरेगा में काम करने वाले दलित व आदिवासी समुदाय से जुड़े मजदूरों के लिए भुगतान का संकट खड़ा हो गया जबकि बाकी मजदूरों को भुगतान पहले की तरह ही हो रहा था। पूरे देश में हल्ला मचने के बाद यह पता चला कि यह अव्यवस्था मंत्री नरेंद्र तोमर के अधीन ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक ऐसी एडवाइजरी के कारण...

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महंगाई कुछ कम होगी- 5 कारण जिनकी वजह से आपको ऊंची कीमतों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए

-द प्रिंट,  मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. अप्रैल में यह वृद्धि 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी. इसके कारण यह आशंका पैदा हो गई कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को सख्त कर देगा. मई के आंकड़े को कुछ दोषपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि यह वृद्धि मुख्यतः विश्व बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, जींसों की कीमतों में वृद्धि, और...

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कभी न भूलें: कोविड-19 से बचे एक पीड़ित की अपील

-न्यूजक्लिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और होलोकॉस्ट(हिटलर के नरसंहार) में बच गये एली विज़ेल ने कहा था,'तटस्थता पीड़ित को नहीं,बल्कि उत्पीड़क को मदद पहुंचाती है। मौन उत्पीड़ित को नहीं,बल्कि ज़ुल्म करने वालों को ही हमेशा प्रोत्साहित करता है।' इसी रौशनी में कोविड-19 के प्रकोप से बच गयी तान्या अग्रवाल हाल के इतिहास में किसी सरकार की सबसे बुरी व्यवस्थागत नाकामियों और ज़िम्मेदारियों की अनदेखी को कभी नहीं भूलने के सिलसिले में लिखती हैं। तान्या...

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