जनसत्ता 11 नवंबर, 2014: एक समय था जब देश के जिला केंद्र ही नहीं, अनेक कस्बों में भी भाषा, गणित और विज्ञान के ऐसे शिक्षक होते थे जिनकी स्थानीय ख्याति हुआ करती थी। यह दो पीढ़ी पहले तक की बात है। तब विद्यालयों के पास संसाधन कम थे और शिक्षकों का वेतन भी बहुत कम था। स्कूल के कमरे, मामूली कुर्सी, बेंच, पुस्तक, छात्र और शिक्षक, यही तत्त्व शिक्षा-परिदृश्य बनाते...
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स्कूली स्तर पर कृषि शिक्षा को बढ़ावा क्यों नहीं-उमेश्वर कुमार
कहने को भारत कृषि प्रधान देश है। पर बात जब कृषि शिक्षा की आती है, तो सूरत अलग नजर आती है। हायर सेकेंडरी स्तर पर कृषि के पाठ्यक्रम में होने के बावजूद इस पर न सरकार का ध्यान है, न ही पढ़ने-पढ़ाने वालों का। स्कूल के बाद पढ़ाई जारी न रखने वाले अधिकांश छात्र खेती-किसानी में लग जाते हैं। लेकिन इसके लिए न तो उन्हें औपचारिक ज्ञान होता है, न...
More »जच्चा-बच्चा योजना बनाने सात माह में भी नहीं जुटे अफसर
भोलाराम सिन्हा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आर्थिक दृष्टि से कमजोर गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान देखभाल और स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए राज्य सरकार सात महीने में भी योजना नहीं बना पाई है। इस संबंध में विभिन्न विभागों की मदद ली जानी है, लेकिन संबंधित विभाग के अफसर योजना का प्रारूप तैयार करने के लिए बुलाई गई बैठकों में दिलचस्पी नहीं हो रहे हैं। अफसर सात महीने में भी...
More »गरीबों का भला ऐसे नहीं होगा- शीतला सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को दी गई चाय पार्टी के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि हमारे हर कार्य की दिशा कमजोर वर्गों के लाभ पर आधारित होगी इसलिए सभी सहयोगियों को भी इस पर अच्छी तरह से सोचना चाहिए कि वे जो कार्यक्रम बनाएं, ध्यान रखें कि उससे गरीबों का कितना हितसाधन होगा। गरीबी मिटाओ का नारा और इसके लिए कार्यक्रम कोई नए नहीं हैं।...
More »बच्चों की पहली भाषा होगी मातृभाषा
आसनसोल: स्कूलों में नामांकन के समय बच्चों से उनकी मातृभाषा की जानकारी ली जायेगी. बच्चे किस मातृभाषा से जुड़े हैं, इसकी जानकारी नामांकन के समय नामांकन फार्म के माध्यम से ली जायेगी. स्कूल में नामांकन के समय किसी भी बच्चे की पहली भाषा उसकी मातृभाषा होगी. दूसरी भाषा हिंदी और तीसरी भाषा के रूप में इंगलिश लिया जायेगा. सीबीएसइ ने यह निर्णय कमीशन फॉर लिंग्विस्टिक माइनॉरिटी (सीएलएम) की 50वीं रिपोर्ट के...
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