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बढ़ती अशांति और भ्रांति से बेचैन - मृणाल पांडे

साल 2017 समाप्ति पर है, लेकिन नई सदी के उपजाए सरदर्द घट नहीं रहे। पाकिस्तान में हर दो-तीन महीनों के भीतर कट्टरपंथी गुट उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों को मानव बम से उड़ा रहे हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्य जनता द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को जबरन भेड़-बकरियों की तरह देश से बाहर हांक दिया गया है और वे हर पड़ोसी देश की सीमा पर बेघर बने डांय-डांय डोल रहे हैं। पहले से ही...

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मध्यप्रदेश : नर्सरी और जूनियर किंडरगार्टन स्कूल भी फीस कानून के दायरे में

भोपाल। निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए बनाया गया बहुप्रतीक्षित 'मप्र निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक 2017' गुरुवार को विधानसभा पटल पर रखा गया। सरकार ने नर्सरी, जूनियर और सीनियर किंडरगार्टन स्कूलों को भी कानून के दायरे में रखा है। प्रस्तावित कानून में साफ है कि सरकार स्कूलों की फीस तय नहीं करेगी, लेकिन स्कूल 10 फीसदी से ज्यादा फीसवृद्धि भी नहीं कर सकेंगे। सरकार...

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एमपी: कैग की रिपोर्ट, साढ़े 14 लाख बच्चों ने बीच में ही छोड़ दी पढ़ाई

भोपाल। शैक्षणिक सत्र 2010 से 2016 के दौरान प्रदेश में 14 लाख 34 हजार बच्चों ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। ये खुलासा भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। इस मामले में मप्र देश के औसत से भी नीचे चला गया है। जबकि छत्तीसगढ़ और गुजरात की स्थिति प्रदेश से बेहतर है। ये रिपोर्ट गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत की गई। प्रधान महालेखाकार सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र...

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त्रिपुरा के आदिवासी और टैगोर-- रामचंद्र गुहा

कोई दस एक साल पहले शांतिनिकेतन जाना हुआ। वहां मेरी मुलाकात वाइस चांसलर के सचिव का काम कर रहे बौद्ध भिक्षु से हुई। वे त्रिपुरा से थे, जहां से शांतिनिकेतन की स्थापना के बाद छात्रों का आना लगातार जारी था। कुछ ही दिन बाद मैं मणिपुर गया, जहां की नृत्य और संगीत परंपरा चमत्कृत करने वाली है। मुझे बताया गया कि टैगोर कभी मणिपुर आए तो नहीं, लेकिन त्रिपुरा महाराज...

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न राजनीति सुधरेगी, न पुलिस --- विभूति नारायण राय

भारतीय पुलिस सेवा में तीन दशकों से अधिक के अपने सफर के दौरान मुझे जिस बात से सबसे अधिक आश्चर्य होता था, वह थी भारतीय जनता के मन मे पुलिस सुधारों को लेकर पसरी हुई उदासीनता। यह देखकर मन उदास हो जाता था कि जिस संस्था से औसत भारतीय नागरिक का सबसे अधिक वास्ता पड़ता है, उसे बेहतर बनाने के लिए किसी तरह का कोई आंदोलन नहीं होता। अधिक से...

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