इंदौर। सोयाबीन या ‘पीले सोने’ की उपज से पसीने का बेहतर मोल मिलने की उम्मीदों के कारण महाराष्ट्र के कपास उत्पादक किसान तेजी से इसकी खेती की ओर मुड़ रहे हैं। पिछले तीन साल में महाराष्ट्र में सोयाबीन के रकबे में सिलसिलेवार इजाफा दर्ज किया गया है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने बताया, ‘महाराष्ट्र में पारंपरिक रूप से कपास उगाने वाले ज्यादातर किसान अपेक्षाकृत बेहतर...
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भरपूर अनाज होने पर भी ज्यादा महंगाई रहने की समीक्षा होगी
चिंताजनक विरोधाभास - अगस्त महीने में खाद्य मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 18.18 प्रतिशत हो गई है जबकि इस दौरान सामान्य मुद्रास्फीति 6.1 फीसदी रही। खाद्यान्न की पैदावार लगातार बढ़ रही है तथा केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का भरपूर स्टॉक उपलब्ध है, इसके बावजूद खाद्य महंगाई दर ऊंची बनी हुई है, जो चिंताजनक है। -प्रो. के. वी. थॉमस, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलात राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अगस्त में खाद्य महंगाई की दर 18 फीसदी से...
More »जीएम बीज पर फैसला विदेशी दबाव में नहीं किया जाएगा:तारिक अनवर
पटना : केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री तारिक अनवर ने आज कहा कि आनुवंशिक तौर पर संवर्धित (जीएम) बीज के संबंध में फैसला विदेशी दबाव नहीं किया जाएगा और वैज्ञानिक स्तर पर जांच करने के बाद ही इस अपनाया जाएगा. तारिक ने यहां तीसरे भारतीय फसल सम्मेलन 2013 का उद्घाटन के बाद जीएम बीज को लेकर सरकार के रुख के बारे में कहा कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में...
More »खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में राज्यों को पूरा सहयोग देगा केंद्र:प्रधानमंत्री
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वायदा किया कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यों को सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. सिंह ने गुजरात के बनासकांठा से देशव्यापी भ्रमण पर निकले किसानों के समूह के यहां पंहुचने पर उन्हें संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ कृषि विकास की बुनियादी जिम्मेदारी तो राज्य सरकारों की है लेकिन हम उन्हें पूरा पूरा सहयोग देते रहे हैं और देते रहेंगे. 12वीं पंचवर्षीय योजना में...
More »देश के 20% घरों में अनाज का दाना नहीं : प्रो द्रेज
पटना: अर्थशास्त्री व सामाजिक कार्यकर्ता प्रो ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार भूख व मिस गवर्नेस की राजधानी है. यहां भूख व असुरक्षा की स्थिति सबसे अधिक है. छत्तीसगढ़ व ओड़िशा की स्थिति इतनी बुरी नहीं है. पेंशन योजनाओं के मामले में भी बिहार की हालत दयनीय है. ऐसी स्थिति में खाद्य सुरक्षा अधिनियम से बिहार को बड़ा अवसर मिला है. अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान में ‘फूड सिक्युरिटी बिल एंड...
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