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स्कूल तोड़कर बीच से निकाल दी गई फोर लेन सड़क, ग्रामीणों ने शुरू किया ‘सड़क पर स्कूल’ अभियान

-न्यूजक्लिक, ये तो सभी ने खुली आंखों से देखा है कि किस प्रकार से कोरोना महामारी काल ने केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकारों की भांति बिहार सरकार की भी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को उधेड़ कर रख दिया. लेकिन अब अनलॉक की स्थिति ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है. बिहार सरकार ने विगत दिनों से प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की जो स्थिति कर रखी है,...

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नवीनतम पीएलएफएस डेटा, विभिन्न प्रकार के श्रमिकों के बीच अल्प-रोजगार और स्वपोषित रोजगार में अवैतनिक सहायकों पर प्रकाश डालता है

आम तौर पर, अर्थशास्त्री एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एक विशेष अवधि में बेरोजगारी और काम से संबंधित अनिश्चितता की सीमा का आकलन करने के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) जैसे संकेतकों का उल्लेख करते हैं. हालांकि, अन्य संकेतक भी हैं, जो रोजगार की स्थिति, आजीविका सुरक्षा और श्रमिकों की बदत्तर स्थिति को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते...

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यूपी का अगस्त : बच्चों का काल, फिरोजाबाद और आस-पास डेंगू और संक्रामक बीमारी का प्रकोप

-डाउन टू अर्थ,  "अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं।" उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सरकार बनने के बाद ही यह विवादित बयान 2017 में दिया था, जब गोरखपुर में 30 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। इत्तेफाक से सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने को है और 2021 के अगस्त महीने में ही फिरोजाबाद में आधिकारिक तौर पर 36...

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लद्दाख के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे संगठन बोले- फूट डालने का प्रयास कर रहा केंद्र

-द वायर, केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के दोनों जिलों मुस्लिम बहुल्य कारगिल और बौद्ध बहुल्य लेह के बीच हमेशा से विवाद रहा है. इन दोनों ही जिलों की अलग-अलग पहचान और आकाक्षाएं रही हैं लेकिन केंद्र सरकार के पांच अगस्त 2019 के फैसले के दुष्परिणामों से निराश ये दोनों जिले अपने दशकों पुराने मतभेद दूर कर पूर्ण राज्य की मांग और क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के विशेष अधिकारों के लिए एक साथ...

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मोदी सरकार की 6 ट्रिलियन रु. की मौद्रीकरण योजना खतरों के बीच ख्वाब देखने जैसा क्यों है

-द प्रिंट, निजीकरण और ‘मौद्रीकरण’ में फर्क यह है कि निजीकरण में तो सरकार व्यवसाय से अलग हो जाती है, जबकि मौद्रीकरण सरकार को उसका सक्रिय खिलाड़ी बनाए रखता है. इस लिहाज से निजीकरण मौद्रीकरण से कहीं आसान है. फिर भी, निजीकरण के मामले में दुखद रिकॉर्ड (एअर इंडिया, भारत पेट्रोलियम आदि) रखने वाली और विनिवेश के लक्ष्य से कोसों पीछे रह गई सरकार मौद्रीकरण के जरिए चार साल में 6...

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