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खादी से पलेंगे 50 हजार परिवार

झारखंड का कुचाई सिल्क व तसर आज पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहा है. इसकी चमक और धमक पश्चिम के देशों में भी महसूस की जा रही है. कोकून उत्पादन में झारखंड अव्वल है. आंकड़े बताते हैं कि दुनिया का 60 प्रतिशत कोकून भारत में उत्पादित होता है. और भारत का 60 प्रतिशत कोकून झारखंड में. लाह उत्पादन में भी झारखंड की स्थिति काफी अच्छी है. इसके अलावा यहां सैकड़ों प्रकार के...

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धनी देशों की कमजोर इच्छाशक्ति से निराशा

रियो-डी जिनेरियोः भारत ने गुरुवार को कहा कि हरित अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों के कार्यान्यवन के लिए विकासशील देशों को बढ़े साधन मुहैया कराने में विकसित देशों की कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति से वह निराश है. यदि इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक तरीके से लागू नहीं किया गया, तो वह आंखों में धूल झोंकने के बराबर होगा. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित करीब 100 विश्व नेता यहां रियो+ 20 पर्यावरण शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे...

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मुखिया को ठेकेदार मत बनाइए- टी आर रघुनंदन से प्रभात खबर के पुष्यमित्र की बातचीत

इन दिनों देश के प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. सैद्धांतिक रूप से यह मान लिया गया है कि प्रशासन का ब्रिटिश ढांचा भारतीय परिस्थिति में नहीं सफल हो रहा. महात्मा गांधी ने जो गांवों के सरकार की कल्पना की थी वही देश को ढंग से चलाने का कारगर तरीका हो सकता है. इसके लिए कई सालों से विकेंद्रीकरण की कोशिशें की जा रही...

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सिर्फ कागजों में पुख्ता है खाद्यान्न भंडारण

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अनाज भंडारण की कमी और बंपर बर्बादी की आशंकाओं पर चौतरफा आलोचना झेल रहे केंद्र ने अब राज्यों से मदद की गुहार लगाई है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों से एकमुश्त छह महीने का राशन का अनाज उठा लेने का आग्रह किया है। सरकारी बहीखातों में खाद्यान्न भंडारण का प्रबंधन पुख्ता जरूर है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है। कागजी बंदोबस्त में भी...

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कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण

  उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्‍बन्‍धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...

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