-न्यूजलॉन्ड्री, तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि उनकी सरकार वित्तीय सहयोग के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर होगी और चीन की मदद से वे देश का आर्थिक पुनर्निर्माण करेंगे. उन्होंने चीन को अपना मुख्य सहयोगी बताते हुए यह भी कहा कि तालिबान चीन द्वारा निर्मित हो रहे नए सिल्क रूट (बेल्ट-रोड परियोजना) को बहुत सम्मान के साथ देखता है. मुजाहिद चीन को अफगानिस्तान के लिए वैश्विक...
More »SEARCH RESULT
अर्थव्यवस्था के लिए इसके चारों इंजन का पूरे वेग से काम करना जरूरी है लेकिन मोदी सरकार केवल दो पर ज़ोर दे रही है
-द प्रिंट, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि को लेकर भविष्यवाणियां आशावादी स्तरों पर आकर केन्द्रित हो गई हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि 8.3 प्रतिशत (विश्व बैंक) से लेकर 10.5 प्रतिशत (सरकार) तक की आर्थिक रिकवरी हो सकती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश 9.5 प्रतिशत का अनुमान लगा रहा है. निवेश बैंकों के कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुमान इसी बीच के हैं. महामारी के कारण पिछले साल जीडीपी में 7.3 प्रतिशत की गिरावट...
More »यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!
वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...
More »महंगाई और महामारी: करोड़ों के हाथ आई गरीबी
-आउटलुक, “कोविड-19 से हर तबका प्रभावित, कोई बिजनेस बेचने तो कोई मेड का काम करने को मजबूर, लेकिन अमीरों की अमीरी भी बढ़ी” अभी एक ही दशक हुआ जब भारतीयों ने अपने खर्च के तौर-तरीके और जीवन शैली में बदलाव लाना शुरू किया था। वे बचत की परंपरागत सोच की जगह खर्च करने पर ज्यादा जोर दे रहे थे। भारतीयों की सोच में आए इस बदलाव पर पश्चिमी देशों का स्पष्ट प्रभाव...
More »शेयर बाजार एक आईना है- 40 सालों में कितना बदला भारतीय बिजनेस और इसमें क्या कमी है
-द प्रिंट, चालीस साल पहले सबसे बड़े 30 व्यावसायिक ‘घरानों’ की जो कंपनियां शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध थीं उनका कुल मूल्य 6,200 करोड़ रुपये था. उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे 28 गुना बड़ा (1.75 लाख करोड़ रु. के बराबर) था. ज़्यादातर कंपनियां जूट, चाय, सीमेंट, चीनी, इस्पात के उत्पाद और कपड़े जैसे ‘प्राथमिक’ उत्पादों का उत्पादन करती थीं. उसके बाद से नाटकीय बदलाव हुए हैं. आज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज...
More »