आधुनिक काल में ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब आंबेडकर ने शासन, सत्ता और संस्कृति के विभिन्न केंद्रों में मौजूद जातीय सैद्धांतिकी को चुनौती देकर ऐतिहासिक कार्य किया। सामाजिक समानता का जो अहसास बाबा साहेब आंबेडकर को संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़ते हुए हुआ, वह हमारे लोकजीवन में कहीं नहीं था। इसलिए शिक्षा प्राप्ति के बाद भारत वापस आने पर उन्होंने इसी लोक जीवन में व्याप्त सदियों पुरानी बीमारियों...
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बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर
सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...
More »देह पर कब्जा और पुन:प्राप्ति-- सुजाता
किसी मनुष्य के व्यक्ति होने के लिए सबसे अहम बात है कि उसके देह और मन या आत्मा को दो फांक करके अलग न कर दिया जाये. देह और चित्त की एकाग्रता किसी मनुष्य को उसके अस्तित्व और गरिमा के एहसास के लिए बेहद जरूरी है. एक ऐसे मनुष्य की कल्पना कीजिए, जिसके पास एक मन है, जिसे मारते रहना है और एक देह है, जिसके बारे में हर निर्देश...
More »आधुनिक गुलामी के शिकंजे में फंसे हैं एक करोड़ 83 लाख भारतीय
भारत में बंधुआ मजदूरी, वेश्यावृत्ति और भीख जैसी आधुनिक गुलामी के शिकंजे में एक करोड़ 83 लाख 50 हजार लोग जकड़े हुए हैं और इस तरह दुनिया में आधुनिक गुलामी से पीड़ितों की सबसे ज्यादा संख्या भारत में है। दुनिया भर में ऐसे गुलामों की तादाद तकरीबन चार करोड़ 60 लाख है। आस्ट्रेलिया आधारित मानवाधिकर समूह वॉक फ्री फाउंडेशन की तरफ से आज जारी 2016 वैश्विक गुलामी सूचकांक के अनुसार दुनिया...
More »स्त्री-पुरुष भिन्न हैं, विपरीत नहीं- सुजाता
और एक दिन हमने पाया कि दुनिया दो टोलों में बंट गयी है. फिल्म पीके की भाषा में कहें, तो एक हमारा गोला और एक तुम्हारा गोला. हम अपने-अपने टोले में कहीं खड़े एक-दूसरे की तरफ हाथ बढ़ाते हैं, लेकिन यहां आकर दो लोगों के बीच की दूरी दुनिया की सबसे लंबी और सबसे देर में तय की जानेवाली दूरी हो जाती है. ये दो टोले थे स्त्री और...
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