“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी” घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...
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बिहार में जानकारी की कमी से उपलब्धता के बावजूद बच्चों को नहीं मिल रहा पोषक आहार: रिपोर्ट
नई दिल्ली: बिहार में लोगों के घरों में विभिन्न प्रकार के पोषक आहार उपलब्ध होने के बावजूद जानकारी के अभाव में आठ महीने से डेढ़ साल तक के शिशुओं को उपुयक्त पोषक आहार नहीं मिल रहा है. एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. हालांकि पिछले एक साल में इस स्थिति में सुधार दर्ज किया गया है. यह रिपोर्ट केयर फाउंडेशन और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल इन इंडिया ने तैयार की है....
More »अनसुनी रह जाती है जिनकी आवाज-- बद्रीनारायण
जनतंत्र में कुछ आवाजें हैं, जो ज्यादा सुनाई देती हैं। महानगर और शहर के बड़े तबके की आवाज तो जनतांत्रिक विमर्श में सुनी ही जाती है, कस्बों, राजमार्गों और मुख्य सड़कों के किनारे के गांवों की आवाज भी कई बार इसमें दर्ज हो जाती है। लेकिन जो अंतरे-कोने में पडे़ हैं, जो नदियों के किनारे के गांव हैं, जो दियारे में बसे गांव हैं, जो पहाड़ों की तलहटियों में और...
More »मोदी राज में किसान: डबल आमद या डबल आफत?
खेती-किसानी के मोर्चे पर केंद्र सरकार ने गुजरे चार सालों में क्या कुछ किया है, उसपर आप महज एक घंटे में राय बनाना चाहते हैं तो फिर यह पुस्तक आप ही के लिए है.(पुस्तक आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं) किसानी के मोर्चे पर केंद्र सरकार के हासिल-लाहासिल को परखने के तीन रास्ते हो सकते हैं. एक तो सरकार के वादों को परखना कि वे किस हद तक पूरे हैं. दूसरे, सरकार के दावों...
More »किसानों का मार्च (पार्ट-1): जितना गहरा है कृषि संकट, उतनी ही हल्की है इससे निपटने की समझ
भारत के कई हिस्सों में इन दिनों किसानों, भूमिहीनों और आदिवासियों के विरोध-प्रदर्शनों की मानो एक लहर चल रही है. सत्ता की नगरी कही जाने वाली दिल्ली-मुंबई जैसी जगहो पर यह लहर कुछ खास ही उफान पर है. बीते कुछ महीनों के भीतर ऐसे चार विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले हैं और ऐसा ही एक और मार्च देश की राजधानी दिल्ली में 29-30 नवंबर को हो रहा है. इसकी मांग है कि...
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