SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 67

सोशल सेक्टर की कंपनियों ने किया 67 करोड़ का नुकसान

रायपुर। राज्य सरकार को पिछले सत्र में सोशल सेक्टर से जुड़ी सरकारी कंपनियों और कॉर्पोरेशन में वित्तीय प्रबंधन में खामियों के चलते करीब 67 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। सबसे बड़ा नुकसान ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने किया। ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन ने भारत में बनने वाली विदेशी शराब की कीमत टैक्स लगाकर बढ़ाने के बजाय अपने मार्जिन से इसे उसका भुगतान कर दिया। इससे कंपनी को 53.65 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा...

More »

अब सरकारी बैंकों के निजीकरण का वक्त - डॉ भरत झुनझुनवाला

विजय माल्या पर 7,000 करोड़ की देनदारी है तो दूसरे बड़े उद्यमियों पर इससे लगभग नौ गुना यानी 60,000 करोड़ रुपए की देनदारी है। माल्या का कहना है कि इस रकम के खटाई में पड़ने में सरकारी बैंकों की भी भागीदारी है, क्योंकि उन्होंने यह जानते हुए लोन दिए थे कि कंपनी संकट में है। सच यह है कि सरकारी बैंकों के अधिकारियों के लिए घटिया लोन देना लाभ का...

More »

छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 81,756 रुपए, 10.84 फीसदी की वृद्धि

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का आर्थिक सर्वेक्षण वर्ष 2015-16 विधानसभा में किया गया। योजना, आर्थिक, सांख्यिकी मंत्री पुन्नूलाल मोहले ने सर्वेक्षण सदन के पटल पर रखा। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2015-16 में प्रति व्यक्ति आय बाजार मूल्य पर 81 हजार 756 रुपए अनुमानित है। जबकि वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय 73 हजार 758 रुपए थी। इसमें गत वर्ष की तुलना में 10.84 फीसदी की वृद्धि है। इसके पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर...

More »

बैंकों की बैलेंस शीट बदहाल क्यों? - धर्मेंद्रपाल सिंह

बैंक देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन दुर्भाग्य से आज वे बदहाल हैं। देश में लिस्टेड 39 में से 30 बैंकों की तीसरी तिमाही की जारी रिपोर्ट खतरनाक संकेत देती है। पता चलता है कि महज तीन महीनों में उनके नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) में 26 प्रतिशत इजाफा हो गया है। रिपोर्ट जारी करने वाले सोलह सार्वजनिक और चौदह निजी बैंकों की बैलेंस शीट एक दर्दभरी दास्तान बयान करती...

More »

फंदा ऋण का, फांस बचत की-- अनिल रघुराज

हम ही हम हैं सब जगह. हमारे बिना किसी का काम नहीं चलता. न सरकार की सत्ता चलती है और न ही कंपनियों और बैंकों का धंधा. टैक्स से रूप में मिला जनधन ही सरकार की संजीवनी है और लोगों से मिली जमा ही बैंकों का मूलाधार है. लेकिन विचित्र कालिदासी व्यवस्था है कि सभी अपने मूलाधार को ही काटने में जुटे हैं. इसे रोकने के सरंजाम जरूर हैं. लेकिन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close