गम्हरिया: बड़ा गम्हरिया बस्ती स्थित राजकीय बुनियादी मध्य विद्यालय (बेसिक स्कूल) में सोमवार को मध्याह्न् भोजन में छिपकली मिली. इससे 94 बच्चे बीमार पड़ गये, जबकि स्टेशन रोड निवासी त्रिलोकी सिंह का पुत्र विक्की सिंह स्कूल में ही बेहोश हो गया. सभी छात्रों का स्थानीय पीएचसी में इलाज कराया गया. शाम पांच बजे उन्हें छुट्टी दे दी गयी. घटना दोपहर डेढ़ बजे की है. प्रधानाध्यापक नवल किशोर सिंह ने बताया...
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मोदी के गुजरात मॉडल का 'गड़बड़झाला'- ज्यां द्रेज
राजनीतिक गहमागहमी में देश जब मतदान-केंद्रों की तरफ बढ़ चला है तो ठोस तथ्यों और तर्कों से होने वाले जांच-परख की एक तरह से विदाई हो रही है. और इन पर हावी हो रहा है जन-संपर्क उद्योग का प्रचार-अभियान. पहला है नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर चढाया जा रहा रंग-रोगन ताकि वो लोगों की नजर में चढ़ जाए. अधिनायकवादी चरित्र और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिक्रियावादी मूल्यों में अंदर तक धंसे...
More »11 हजार वोल्ट के तारों ने ली छह बच्चों की जान- मनीष शांडिल्य
बिहार के जमुई ज़िले में बिजली के 11,000 वोल्ट के तार की चपेट में आने से छह बच्चों की मौत हो गई है जिनमें चार लड़कियां और दो लड़के शामिल हैं। यह हादसा गुरुवार दोपहर तब हुआ जब ज़िले के सोनो प्रखंड के नैयाडीह पंचायत के चंद्रा गांव के ये बच्चे अपने घरों से मक़तब जा रहे थे। सभी बच्चे मुस्लिम समुदाय से हैं। बताया जाता है कि यह बच्चे मध्यान्ह भोजन के बाद बर्तन...
More »हेराफेरी पर कस रही आरटीआइ की नकेल
सूचना का अधिकार कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अपने अधिकारों को पाने का माध्यम बन गया है. झारखंड के गांवों में बड़ी संख्या में लोग आरटीआइ का प्रयोग कर रहे हैं. आरटीआइ के जरिये भ्रष्टाचार का खुलासा करने या अपने अधिकारों को पाने वाले लोगों से प्रेरित होकर दूसरे लोग भी आरटीआइ का उपयोग कर रहे हैं. इस बार की आमुख कथा में पंचायतनामा ने आरटीआइ के ऐसे ही किस्सों...
More »गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल
गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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