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नये श्रम कानूनों का मक़सद अगर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग को ही सुधारना है तो ये कमाल के हैं

-सत्याग्रह, संसद में 23 सितंबर को श्रम कानून से जुड़े तीन अहम कोड बिल पास हो गए. सरकार ने बीते साल श्रम सुधार की बात कहते हुए 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को मिलाकर चार कोड बिल तैयार किये थे. इनमें से तीन कोड बिल - औद्योगिक संबंध कोड बिल, सामाजिक सुरक्षा कोड बिल और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा कोड बिल - पिछले महीने के अंत में पास हुए. चौथे कोड...

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SOFI 2020 रिपोर्ट: अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मुकाबले भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा कमजोर

30 अगस्त, 2020 को दिए गए अपने मन की बात भाषण में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सितंबर 2020 का महीना पूरे राष्ट्र में पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा. अपनी मन की बात में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बच्चों के पोषण के लिए माँ को उचित और पर्याप्त पोषण मिलना चाहिए. इस संदर्भ में, खाद्य और पोषण...

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"कृषि विधेयकों से किसानी पर हो जाएगा कॉरपोरेटों का कब्जा," पंजाब के आंदोलनरत किसान

-कारवां, 14 सितंबर को जब पंजाब और हरियाणा में किसान संगठन विरोध कर रहे थे केंद्र सरकार ने संसद में कृषि से संबंधित तीन विधेयक पेश किए. इन विधेयकों ने जून में घोषित किए गए तीन अध्यादेशों, किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश (2020), किसानों के (सशक्तिकरण और संरक्षण) के लिए मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अध्यादेश (2020) और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश (2020) को प्रतिस्थापित कर...

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अनुच्छेद 370 को उसी ढांचे में लाना राजनीतिक निर्णय से हो सकता, न्यायिक से नहीं: महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती

-आउटलुक, पिपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती कश्मीर से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर रही हैं। मां महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल करते हुए इल्तिजा ने कश्मीर पर लिए गए फैसलों को लेकर कई बार भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। आउटलुक के नसीर गनई के साथ बातचीत में इल्तिजा का कहना है कि उन्हें...

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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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