पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘मॉब लिंचिंग' (भीड़-हिंसा) का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए इसे रोकने हेतु सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये गये हैं. न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार को इसके लिए अलग से कानून बनाना चाहिए और राज्य सरकारों को भी इसे नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए, क्योंकि विधि-व्यवस्था की मौलिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है. भीड़-हिंसा धीरे-धीरे खतरनाक रूप ले चुकी है और समय...
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क्या न्यायपालिका ही अंतिम आसरा है-- शशिशेखर
गुजरे हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट हुक्मरानों को लताड़ रहा था- आप भीड़ को इंसाफ करने का हक नहीं दे सकते, भीड़ की हिंसा रोकने के लिए कानून बनाइए और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटिए, तो माननीय न्यायमूर्तिगण को मालूम न था कि सैकड़ों किलोमीटर दूर एक गुमनाम से शहर पाकुड़ में दूसरी पटकथा रची जा रही है। कुछ घंटे बाद हमने टीवी के परदे पर 78 साल के...
More »साइबर शोहदों से किनारा कीजिए-- शशि शेखर
सरकार लोगों को मुझसे प्रेम करने के लिए तैयार नहीं कर सकती, मगर भीड़ को मेरी जान लेने से जरूर रोक सकती है। तफरीहन, यूरोप की हसीन वादियों में घूम रहे मेरे एक आत्मीय को पिछले दिनों मार्टिन लूथर किंग जूनियर के ये शब्द बार-बार याद आए। वजह? उनसे बार-बार घुमा-फिराकर पूछा गया कि आप हिन्दुस्तानी क्या बलात्कारी और रक्त पिपासु हैं? जवाब में उन्होंने पुरातन संस्कृति से लेकर नई...
More »तूतीकोरिन के बाद की राजनीति-- एस श्रीनिवासन
पिछले महीने की 22 तारीख को तूतीकोरिन स्थित स्टर्लाइट इंडस्ट्रीज के खिलाफ शुरू हुआ 100 दिनों का धरना-प्रदर्शन अचानक हिंसक हो उठा था। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों के एक धड़े ने सरकारी अधिकारियों पर पेट्रोल बम फेंका और पुलिस पर हमला किया, जिसके जवाब में पुलिस ने गोलियां दागीं और इसके कारण 13 लोग मारे गए। उस दिन वास्तव में क्या हुआ था, इसके कई दावे और कई कहानियां हैं।...
More »महाराष्ट्र के संदेश को सुनिए-- शशि शेखर
पिछले दिनों आधे से अधिक महाराष्ट्र को जातीय हिंसा की आग ने जिस तेजी से अपनी चपेट में लिया, उससे आशंकित और आतंकित होना लाजिमी है। इस दौरान उन्माद में अंधे हो रहे लोगों ने पाठशाला से घर लौट रहे मासूमों की बसों तक पर पथराव किया। भय से कंपाते बच्चों को अपने सहपाठियों के यहां शरण लेनी पड़ी। उधर, उनके मां-बाप मुंबई महानगर के मुख्तलिफ हिस्सों में बेबसी जीने...
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