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उत्तर प्रदेश भारत की कमजोर कड़ी है, इसे चार या पांच राज्यों में बांट देना चाहिए

द प्रिंट,  आखिर उत्तर प्रदेश ने हमें कोरोना महामारी और चीनी घुसपैठ की ‘सातों दिन 24 घंटे’ खबरों से थोड़ी राहत दिला दी. अब उलझन यह है कि उसे शुक्रिया कहें या न कहें? क्योंकि संदर्भ उतना ही चिंताजनक है. जितना जानलेवा महामारी के खतरे का या घुसपैठ पर उतारू एक पड़ोसी का हो सकता है. एक आदमी को एक ऐसे कथित ‘एनकाउंटर’ में मार डाला गया है जिसे इतने भद्दे...

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पथ का साथी: लौटते प्रवासियों की दिक्कतें कम करने में जुटे ग्रामीण

-डाउन टू अर्थ, डाउन टू अर्थ हिंदी के रिपोर्टर विवेक मिश्रा 16 मई 2020 से प्रवासी मजदूरों के साथ ही पैदल चल रहे हैं। उन्होंने इस दौरान भयावह हकीकत को जाना और समझा। वे गांव की ओर जा रहे या पहुंच चुके प्रवासियों की पीड़ा जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वे कभी अब शहर की ओर रुख करने की हिम्मत भविष्य में जुटा पाएंगे? उनके इस सफर को...

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शहरों से गांव पहुंचने वाले मजदूरों को लेकर कितना तैयार है प्रशासन?

-गांव कनेक्शन,  लॉकडाउन के बाद सडकों पर उतरे मजदूर अब अपने राज्यों और जिलों को पहुंचने लगे हैं। पहले लोगों को चिंता थी कि ये मजदूर सही तरीके से अपने घर पहुंच जाएं लेकिन अब सबको यह चिंता सता रही है कि अगर इन लोगों में कोई कोरोना से संक्रमित हुआ तो क्या होगा? आपकी इसी चिंता को देखते हुए गांव कनेक्शन ने उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों से जानकारी जुटाई...

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योगीराज के तीन सालः आंकड़ों के आईने में एनकाउंटर, मर्डर, रेप, बेरोजगारी और बवाल…

-मीडियाविजिल, योगी आदित्यनाथ की गिनवायी उपलब्धियों की मीडियाविजिल ने सरकारी आंकड़ों के सहारे पड़ताल की है. यह पड़ताल समाज के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी है. जो आंकड़े सामने आये हैं, वे दिल दहलाने वाली तस्वीर पेश करते हैं. मीडियाविजिल एक-एक कर के अलग-अलग क्षेत्रों की ज़मीनी हक़ीकत पाठकों के सामने रख रहा है. रोजगार  पिछले विधानसभा चुनाव के मौके पर भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं के लिए 70 लाख नौकरियों का वादा किया था....

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NRC को पूंजीवादी दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए

एनआरसी को अभी तक सिर्फ़ कम्युनल और संवैधानिक दृष्टि से ही देखा गया है। एनआरसी पूंजीवादी के कितना काम आ सकता है, किस तरह काम आ सकता है इस पर भी एक नज़र डाल लेना चाहिए। क्योकि पूंजीवादी जब फासीवाद को अपना हथियार बना लेता है तो दमन और क्रूरता के सारे पुराने मापदंड टूट जाते हैं।इसे समझना हो तोलोकल इंटेलिंजेंस यूनिट के हवाले से लिखी गई अमर उजाला की...

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