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काला या गोरा, धन तो आया-- अनिल रघुराज

कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. इसी तरह अपने यहां केंद्र सरकार की असली चाल-ढाल पहले दो-ढाई साल में ही दिख जाती है. बाद का आधा कार्यकाल तो अगले चुनावों का माहौल बनाने में चला जाता है. नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तो यह भी दिक्कत है कि कार्यकाल के तीसरे साल में उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे अहम राज्यों के विधानसभा चुनाव होने...

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मानसून बढ़ाएगा इकोनॉमी की रफ्तार, 2016 में 7.5% रहेगी इंडिया की जीडीपी: मूडीज...

नई दिल्‍ली। ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि 2016 और 2017 में इंडिया की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी रहेगी। मूडीज इन्‍वेस्‍टर सर्विस ने बेहतर मानूसन के पूर्वानुमान के चलते आगे भी महंगाई में नरमी बने रहने के संकेत हैं.. इस कथा को आगे पढ़ने के लिएयहां क्लिक करें   ...

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विनोद राय बैंक बोर्ड ब्यूरो के पहले चेयरमैन नियुक्त

नयी दिल्ली :पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) का पहला चेयरमैन नियुक्त किया गया है. यह ब्यूरो सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शीर्ष स्तर की नियुक्तियों पर सुझाव देगा और साथ ही अन्य मुद्दों के साथ साथ बैंकों के फंसे कर्ज की समस्या के निदान के बारे में भी सलाह देगा. आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व संयुक्त प्रबंध निदेशक एच एन सिनोर, बैंक...

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बजट 2016-17: खेती को पानी मिले, किसानों को वाजिब दाम

हालांकि नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री ने "कि‍सान की सारी मुसीबतों का समाधान" बताया है लेकिन लगातार दो दफे सूखे की चपेट में आई खेतिहर अर्थव्यवस्था की मौजूदा बदहाली नये बजट में फौरी तौर पर विशेष उपाय करने की मांग करती है.(देखें प्रधानमंत्री का भाषण)   एक ऐसी स्थिति में जब कृषिगत सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो वित्तवर्षों (2014-15 में -2%, 2015-16 में 1.1%) में बड़ा मामूली इजाफा हुआ हो,...

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फंदा ऋण का, फांस बचत की-- अनिल रघुराज

हम ही हम हैं सब जगह. हमारे बिना किसी का काम नहीं चलता. न सरकार की सत्ता चलती है और न ही कंपनियों और बैंकों का धंधा. टैक्स से रूप में मिला जनधन ही सरकार की संजीवनी है और लोगों से मिली जमा ही बैंकों का मूलाधार है. लेकिन विचित्र कालिदासी व्यवस्था है कि सभी अपने मूलाधार को ही काटने में जुटे हैं. इसे रोकने के सरंजाम जरूर हैं. लेकिन...

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