हिमालय आकार में जितना विराट है, अपनी विशेषताओं के कारण उतना ही अद्भुत भी। कल्पना करें कि अगर हिमालय न होता तो दुनिया और खासकर एशिया का राजनीतिक भूगोल क्या होता? एशिया का ऋतुचक्र क्या होता? किस तरह की जनसांख्यकी होती और किस तरह के शासनतंत्रों में बंधे कितने देश होते? विश्वविजय के जुनून में दुनिया के आक्रांता भारत को किस कदर रौंदते? न गंगा होती, न सिंधु होती और...
More »SEARCH RESULT
मच्छरों से जंग: श्रीलंका से क्या सीखें हम
श्रीलंका ने मलेरिया से मुक्ति पा ली है, जबकि भारत अब भी इससे जूझ रहा है। इसके उन्मूलन का लक्ष्य सन 2030 का है, जबकि इस बीच डेंगू, चिकनगुनिया तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं और मच्छर से फैलने वाले जीका जैसे खतरनाक रोग दस्तक दे रहे हैं। संचिता शर्मा की रिपोर्ट बीते पांच सितंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका को मलेरिया-मुक्त घोषित...
More »‘गाइड’ के दृश्य का दोहराव क्यों?- शेखर गुप्ता
यदि आपने देव आनंद की 1965 की क्लासिक फिल्म ‘गाइड' देखी हो तो टीवी स्क्रीन पर सूखे से प्रभावित क्षेत्रों खासतौर पर महाराष्ट्र के दृश्य अापको पहले देखे हुए से लगेंगे। फिल्म के अंतिम हिस्से में राजू गाइड सूखे से प्रभावित क्षेत्र के एक मंदिर में शरण लेता है। गांव वालों को लगता है कि वे कोई पहुंचे हुए स्वामीजी हैं और ग्रामीण उसे तब तक उपवास करने पर मजबूर...
More »राजस्थान से ज्यादा सूखा असम में-- नई रिपोर्ट
‘ एक समंदर ने हंसकर कहा हमें पानी पिला दीजिए '-यह सिर्फ कविता की पंक्ति नहीं बल्कि देश के पूर्वोत्तर के हिस्से के लिए अब एक सच्चाई है. एक नये अध्ययन में सामने आया है कि भरपूर बारिश के लिए मशहूर पूर्वोत्तर में शुष्क और अर्द्ध-शुष्क करार दिए गए पश्चिमी भारत की तुलना में सूखा पड़ने की आशंका दोगुना ज्यादा है.(देखें लिंक) अध्ययन के अनुसार साल 2000 से 2014 के बीच 15...
More »देशभर में प्याज की कीमतों में लगी आग, हर मोर्चे पर सरकार लाचार-- अमलेश नंदन
देशभर में प्याज की कीमतें आम आदमी को रुला रही हैं. महानगरों में प्याज के भाव खुदरा मंडियों में क्वालिटी के हिसाब से 80 से 100 रुपये प्रति किलो हैं. जबकि अनय शहरों और यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी प्याज 50 से 70 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं. प्याज की कीमतों में हर दूसरे दिन वृद्धि देखने को मिल रही है. खबरे आ रही है कि नासिक...
More »