नदियां हमारी संस्कृति की खेवनहार हैं. ये महज जल का स्रोत नहीं, बल्कि हमारे सुख-दुख की साथी हैं. लेकिन विकास की अंधी दौड़ में हम इन्हें इतना गंदा कर चुके हैं कि अधिकांश नदियां अब किसी काम की नहीं रह गयी हैं. पितृपक्ष पर पितरों को तर्पण के लिए यमुना के केशीघाट पर पहुंचे आइआइटी मद्रास के सेवानिवृत्त प्रोफेसर श्रीश चौधरी का कैसा रहा अनुभव, आइए जानें श्रीश...
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मनचाहा लोकायुक्त की बेजा जिद-- रामेश्वर पांडेय
कहते हैं कि गलत वक्त पर या समय बीत जाने के बाद सही फैसले भी कई सारे सवाल पैदा करते हैं। बहुत बार नीयत पर भी प्रश्नचिह्न लगता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश रवींद्र सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त पद के लिए अपनी दावेदारी यह कहते हुए वापस ले ली है कि लोकायुक्त जैसे सांविधानिक पद पर नियुक्ति में विवाद उचित नहीं था। उन्होंने मुख्यमंत्री...
More »एक अनूठी विरासत का बेजा विरोध - स्वपन दासगुप्ता
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब भारत के बारे में बाकी दुनिया, विशेष रूप से पश्चिमी जगत में दो तरह की धारणाएं विद्यमान थीं। पहली धारणा यह थी कि भारत का मतलब उत्पीड़न, भुखमरी, बीमारी और बूचड़खाना है। दूसरी धारणा के रूप में भारत की छवि एक ऐसे देश की थी, जहां साधुओं, भिखारियों, सपेरों, बाघों, हाथियों और हीरे-जवाहरातों से लदे महाराजाओं की भरमार है। यही मिथकों वाला भारत था...
More »छोटी-सी उम्र में लिया समाज बदलने का संकल्प, साइकिल पर चला रही चलंत पुस्तकालय
आज जिससे भी बात कीजिए, यही कहता है कि समाज में बहुत गिरावट आ गयी है. यह बात मानते सब हैं, पर करता कोई कुछ नहीं. लेकिन, लीक छोड़ चलनेवाले कुछ बिरले होते हैं, जो आलोचना भर से संतुष्ट नहीं होते और बदलाव के लिए कदम बढ़ा लेते हैं. ऐसी ही है बिहार की सुपुत्री साधना. उसने जो साधना शुरू की है, अगर वह एक आंदोलन की शक्ल ले ले,...
More »म्यांमार के जियावडी गांव में बसता है ‘बिहार’
म्यांमार और भारत के रिश्ते सदियों पुराने हैं। लेकिन कम लोगों को ही पता होगा कि म्यांमार में भी एक ‘बिहार' बसता है। म्यांमार के बगो प्रांत का जियावडी गांव सवा सौ साल पहले धोखा देकर बिहार से लाए गए गिरमिटिया अर्थात अनुबंधित मजदूरों के वंशजों से आबाद है। ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों ने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के हजारों लोगों को दुनिया के अनेक देशों में गिरमिटिया के...
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