डाउन टू अर्थ, 12 जनवरी अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिको ने छद्म कृषि विज्ञान के नैनो यूरिया को राष्ट्रीय खाध्य सुरक्षा के लिए खतरा और किसानो का खुला शोषण बताया. पंजाब कृषि विश्वविधालय, लुधियाना द्वारा ताजा प्रकाशित अनुसंधान के अनुसार ईफको की नैनो यूरिया तकनीक अपनाने से गेंहू की पैदावार मे 21.6 प्रतिशत और धान की पैदावार में 13 प्रतिशत कमी दर्ज हुई। इसके अतिरिक्त गेहूं और धान के दानों में...
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जलवायु लक्ष्य व जस्ट ट्रांजिशन के लिए घातक साबित हो रहे हैं गुजरात के पेट्रोकेमिकल उद्योग
डाउन टू अर्थ, 09 जनवरी गुजरात के भरूच जिले के दहेज औद्योगिक क्षेत्र में केमिकल और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री के गोल्डन कॉरीडोर से गुजरते हुए कोयले की काली धूल और राख की परत चारों तरफ देखी जा सकती है। सड़क, मकान, दुकान, कपड़े, बर्तन यहां तक की अपनी सांस में भी लोग कोयले के बारीक कण उतरने की शिकायत करते हैं। भरूच जिले के वागरा तालुका में दहेज पोर्ट को जोडने वाला, गोल्डर...
More »जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय पहल अधिक जरूरी क्यों?
इंडियास्पेंड, 04 जनवरी झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट पहाड़ियों में बसे गांव दादीचापर में बिरजिया जनजाति के लगभग 35 परिवार रहते हैं। बिरजिया समुदाय भारत के सबसे दुलर्भ चिन्हित 75 आदिवासी समूहों में से एक है। बादलों से ढकी घुमावदार पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र काफी मनोरम दिखता है। दादीचापर गांव, लातेहार शहर से 30 किलोमीटर दूर है और इस गांव तक एक पथरीली और घुमावदार सड़क...
More »आत्मनिर्भर बन रही हैं केरल की आदिवासी महिलाएँ
बाबा मायाराम, पालक्काड़ “हम जल, जंगल और जंगली जानवरों का संरक्षण करने के साथ-साथ आदिवासियों की आजीविका को भी बचाने की कर रहे हैं। जंगल से हम उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत होती है। जंगली जानवरों के लिये को उनके पसंद के फल, फूल, पत्ते और कंद छोड़ देते हैं; जिससे वे भी जिये और जंगल की जैव-विविधता भी बनी रहे।” यह मंजू वासुदेवन थीं, केरल के त्रिचूर जिले में ‘फॉरेस्ट...
More »तमिलनाडु: बदलते मौसम का असर, पारंपरिक धान की खेती से दूर जा रहे किसान
इण्डियास्पेंड, 20 दिसम्बर तमिलनाडु के जिला तंजावुर की पंचायत ओझुगासेरी में रहने वाले दिनेश पांडीदुरई और उनके जैसे कई अन्य किसानों ने गर्मी ने लगने वाली धान की किस्म सांबा ना लगाने का फैसला किया है। लंबे समय तक ज्यादा गर्मी और उसके बाद मानसून सीजन में अच्छी बारिश ना होने की वजह से इस क्षेत्र का भूजल सूख गया है। पानी की दिक्कत उन खेतों में भी है जो कोल्लीडैम नदी...
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