-द वायर, देश में कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. इसमें निर्माण और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी सर्वाधिक प्रभावित हुए. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की संयुक्त रिपोर्ट में यह कहा गया है. ‘एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 युवा रोजगार संकट से निपटना’ शीर्षक से आईएलओ-एडीबी की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक अनुमान के...
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देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“
-ऐक्शन एड, अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.” देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है. सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब...
More »ग्लोबल वार्मिंग के कारण कनाडा की अंतिम साबुत बची हिमचट्टान टूटी
-इंडिया वाटर पोर्टल, दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग का असर अब तेजी से बढ़ने लगा है। उत्तरी अमेरिका के देश ‘कनाडा’ में साबुत बची अंतिम हिमचट्टान का अधिकांश हिस्सा टूटकर विशाल हिमशैल द्वीपों में बिखर गया। ये लगभग 4 हजार साल पुरानी हिमचट्टान थी, जो एलेसमेरे द्वीप के उत्तर पश्चिम पर मौजूद थी। ये आकार में कोलंबिया जिले से बड़ी, यानि लगभग 187 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी, लेकिन 43...
More »सैन्य कार्रवाई के जरिए आतंकवादियों को मार गिराना ही सिर्फ कश्मीर नीति नहीं हो सकती
-द प्रिंट, ले. जन. एचएस पनाग (रि.) ने अपनी नई किताब ‘द इंडियन आर्मी: रेमिनिसेंसेज़, रिफॉर्म्स एंड रोमांस ‘ में लिखा है, ‘दो सौ आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया था, गर्मियों की घुसपैठ विरोधी मुद्रा स्थापित हो गई थी’. ये किताब कश्मीर में उनके कार्यकाल के बारे में भी बात करती है. लेकिन ले. जन. पनाग कोई हाल ही में रिटायर हुए ऑफिसर नहीं हैं, वो 2007 में नॉर्दर्न आर्मी कमांडर...
More »अब कौन उठाएगा आसमान की तरफ हाथ और सुनाएगा - ‘किसी के बाप का हिंदोस्तान थोड़ी है’
-सत्याग्रह, कहते हैं कि गोपालदास नीरज जब सार्वजनिक मंचों पर कविता पाठ किया करते थे तो युवाओं के दिल की धड़कनें तेज हो जाती थीं. आज जो हमारी मां हैं मौसी हैं, वे उन दिनों को याद करके खिल उठती हैं जब उनके कॉलेज के मुक्ताकाश मंच पर गोपालदास नीरज अपनी अलहदा अदा में गीत और कविताएं सुनाया करते थे. यह उन दिनों की बात है जब उनके बाल सफेद नहीं...
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