भारत में किसानों की दशा दशकों तक नजरअंदाज किये जाने के कारण अब बुरी तरह बिगड़ चुकी है. सरकार ने खेतिहरों की आय दोगुना करने तथा उपज का उचित दाम दिलाने का वादा किया है, जिसे पूरा करने की दिशा में इस साल कुछ ठोस कोशिश की उम्मीद है. खेती को फायदेमंद पेशा बनाने, फसलों के सही मूल्य दिलाने, कर्ज से राहत आदि की प्राथमिकताएं इस साल हैं. इस संबंध...
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5 महीनों के न्यूनतम स्तर पर GST संग्रह, 18 जनवरी को काउंसिल की बैठक
नई दिल्ली। केंद्र और राज्यों की लगातार कोशिशों के बावजूद जीएसटी संग्रह में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। लगातार दूसरे महीने गिरावट के साथ नवंबर माह के लिए जीएसटी संग्रह घटकर 80,808 करोड़ रुपये रह गया है जो बीते पांच महीनों में अब तक का न्यूनतम है। माना जा रहा है कि इस गिरावट के मद्देनजर जीएसटी काउंसिल आने वाले दिनों में जीएसटी की दरें घटाने से...
More »छत्तीसगढ़: धान बीमा में आ रही समस्याओं का जल्द होगा निराकरण
रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान के बीमा भुगतान में आ रही समस्याओं का शीघ्र निराकरण कर लिया जाएगा। केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और कृषि मंत्री बृजमोेहन अग्रवाल के बीच बुधवार को नई दिल्ली के कृषि भवन में हुई उच्च स्तरीय बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे बीमा कम्पनी के साथ बैठक कर तत्काल समस्या का निराकरण करें। इस दौरान अग्रवाल ने छत्तीसगढ मे...
More »सरकारी बेरुखी से बदहाल किसान--- संजीव पांडेय
इस साल आलू की अच्छी फसल के बावजूद किसान बहुत परेशान हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक के किसान दस पैसे प्रति किलो आलू बेचने के लिए मजबूर हैं। हाल ही में पंजाब में किसानों ने जानवरों को ही आलू खिलाना शुरू कर दिया था। उधर उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस बार आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था। इसके बावजूद आगरा और मथुरा के इलाके में...
More »ताकि बची रहें नदियां-- पत्रलेखा चटर्जी
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यावरणविदों में से एक और दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण जीवंत किंवदंतियों में से एक हैं। हाल ही में सुनीता नारायण से मेरी मुलाकात हुई, हालांकि मैं उन्हें बीती सदी के नब्बे के दशक से ही जानती हूं। सुनीता नारायण की नई किताब कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट हाल ही में प्रकाशित हुई हैं, जिसमें भारत के हरित आंदोलन के माध्यम से...
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