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स्वराज अभियान में नया मोड़, जेल से रिहा हुए ‘आप’ के पूर्व नेता योगेंद्र यादव

किसानों के मुद्दे पर केंद्र से हठजोड़ कर रहे योगेंद्र यादव सहित 86 किसानों की हिरफ्तारी के बाद स्वराज अभियान ने नया मोड़ ले लिया है। कभी साथी रहे आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़े हो गए। केजरीवाल ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की । पुलिसिया कार्यवाई को अनावश्यक बताया ।...

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प्रेसिडेंसी जेल में दो कैदियों की मौत

कोलकाता. महानगर के प्रेसिडेंसी जेल के अंदर चार घंटे के अंतराल में दो विचाराधीन कैदियों की मौत हो गयी. मृत कैदियों के नाम मोहम्मद रियाज उर्फ रियाजुद्दीन (35) और दूसरे कैदी का नाम मोहम्मद मुमताज (65) है. दोनों ही कुछ दिनों से अस्पतालों में चिकित्साधीन थे. रियाज की मौत एम आर बांगुर अस्पताल में हुई, जबकि मोहम्मद मुमताज ने जेल अस्पताल में दम तोड़ दिया. जेल के कर्मियों ने दोनों...

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पूर्वोत्तर में संभावना- चंदन कुमार शर्मा

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) यानी एनएससीएन (आईएम) और केंद्र सरकार ने विगत तीन अगस्त को एक संधि पर हस्ताक्षर करके देश के सबसे पुराने उग्रवादी आंदोलन की समाप्ति को लेकर ताजा संभावनाएं पैदा की हैं। यह संधि असल में, आगामी समझौते की एक रूपरेखा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता आगामी तीन महीने में हो जाएगा। नगा संगठन पिछले कई दशकों से अपने लिए एक स्वतंत्र देश...

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फंदे में फांसी- विशेष प्रस्तुति(प्रभात खबर)

फांसी की सजा को खत्म करने पर एक बहस दुनियाभर में सालों से चल रही है. भारत में भी मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी दिये जाने से पहले 291 प्रतिष्ठित लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर फांसी रोकने की मांग की थी.  भारत उन देशों में शामिल है, जहां फांसी की सजा पर अमल नहीं के बराबर हो रहा है. हालांकि जघन्यतम अपराध के दोषियों में...

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क्यों झूठे हैं मृत्युदंड को समाप्त करने के लिए दिए जा रहे चारों तर्क-- कल्पेश याग्निक

‘जो कुछ भी गोपनीय रखा जाता है, पूरी तरह बताया और समझाया नहीं जाता, अनेक प्रश्न अनुत्तरित रखकर किया जाता है; वह बाद में सड़ने लगता है। चाहे इस तरह किया गया न्याय ही क्यों न हो। - पुरानी कहावत मृत्युदंड दिया जाना चाहिए कि नहीं? प्रभावी और मेधावी लब्धप्रतिष्ठितों की स्पष्ट राय है - नहीं? उनके चार तर्क हैं : 1. क्योंकि यह तो ‘आंख के बदले अांख' का विकृत कानून हो...

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