बगीचा (निप्र) पत्नी का इलाज कराने के लिए सन्ना गए एक पहाड़ी कोरवा की चार दिन तक खाना नहीं मिलने से मौत हो गई। पत्नी की आंख का इलाज कराने के लिए उसे सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसे चार दिन रुकना पड़ा। इस दौरान उन्हें खाना नहीं मिला। चार दिन बाद अपने गांव लेदरापाठ लौटने लगे। शाम हो जाने की वजह से वे खुंटाटांगर बस्ती के पास एक मिर्ची...
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आंकड़े क्यों घटते दिख रहे हैं-- सुभाष गताड़े
दिलचस्प है कि इस बार अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार एक ऐसे शख्स को मिला है, जिसने भारत में गरीबी नापने के प्रचलित तरीकों पर भी सवाल उठाकर इसे सुधारने में अहम भूमिका अदा की है। प्रचलित तरीकों से लोगों द्वारा किए जा रहे उपभोग का सही अनुमान नहीं लग पाता था और वास्तविक गरीबी का चित्र नहीं उभर पाता था। अर्थव्यवस्था में राज्य हस्तक्षेप के समर्थक इस वर्ष के नोबल विजेता...
More »कोरवा की दर्द की हकीकत, भुखमरी में गिरवी रखा राशन कार्ड
रायपुर/जशपुरनगर. भूख से तड़प कर पहाड़ी कोरवा लम्बू राम (60) की हुई मौत के मामले में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। मृतक की मां विजनी बाई ने प्रशासन के समक्ष बदहाली की दास्तां सुनाते हुए खुलासा किया� कि हमने लम्बू के पिता झामक� के इलाज के लिए 2014 में एक हजार रुपए में चढ़भईया के एक सूदखोर के पास� राशन कार्ड गिरवी रख दिया था। तब हमारे�...
More »वकालत के अपराधीकरण पर लगाम-- विराग गुप्ता
न्यायिक व्यवस्था के पतन एवं सड़ांध पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने माननीय न्यायाधीशों से बुर्का पहनकर बाहर घूमने का आग्रह किया, जिससे उन्हें बेंच (अदालतों) की नाकामी की हकीक़त पता चल सके, लेकिन इस सड़ांध की जिम्मेदारी सिर्फ जजों पर ही क्यों? कुछ दिन पूर्व दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को लॉ की फर्जी डिग्री के आरोप में...
More »गरीबी का फंदा तोड़ने के वास्ते-- प्रमोद जोशी
आर्थिक विकास, व्यक्तिगत उपभोग और गरीबी उन्मूलन के बीच क्या कोई सूत्र है? यह इक्कीसवीं सदी के अर्थशास्त्रियों के सामने महत्वपूर्ण सैद्धांतिक प्रश्न है. पिछले डेढ़-दो सौ साल में दुनिया की समृद्धि बढ़ी, पर असमानता कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी. ऐसा क्यों हुआ और रास्ता क्या है? इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रिंसटन विश्वविद्यालय के माइक्रोइकोनॉमिस्ट प्रोफेसर एंगस डीटन को देने की घोषणा की गयी है. वे लंबे अरसे...
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