राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 से उम्मीद जतायी गयी है कि 2018-19 में 7 से 7.5 फीसदी आर्थिक वृद्धि हासिल करने के बाद भारत एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़नेवाली बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा. इस समीक्षा में 2017-18 में 6.75 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है. इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 6.5 फीसदी रहने...
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अर्थव्यवस्था की आगे की राह-- अरविन्द कुमार सिंह
कृषि और विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्तवर्ष में विकास दर की रफ्तार साढ़े छह प्रतिशत पर थमने की आशंका एक बार फिर बढ़ गई है। यह अनुमान केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जताया है जिसके मुताबिक प्रतिव्यक्ति आय बढ़ने की गति अत्यंत धीमी है और साथ ही विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर घट कर छह साल के न्यूनतम स्तर (4.6 प्रतिशत) पर आ गई है।...
More »आधार निराधार--- तवलीन सिंह
जब भी किसी मुद्दे को लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में हल्ला मचने लगता है, तो मेरी आदत है किसी दूरदराज गांव में जाकर उसी मुद्दे पर आम, गरीब भारतवासियों से बातें करना। सो, पिछले हफ्ते जब आधार कार्ड को लेकर खूब हल्ला मचने लगा देश भर में निजता पर और पत्रकारों और टीवी एंकरों में भी खेमे बंट गए, मैं एक ऐसे गांव में जा पहुंची जहां कुछ भी...
More »बहुत कठिन है खेती की राह..जानिए कैसे
भारत में किसानों की दशा दशकों तक नजरअंदाज किये जाने के कारण अब बुरी तरह बिगड़ चुकी है. सरकार ने खेतिहरों की आय दोगुना करने तथा उपज का उचित दाम दिलाने का वादा किया है, जिसे पूरा करने की दिशा में इस साल कुछ ठोस कोशिश की उम्मीद है. खेती को फायदेमंद पेशा बनाने, फसलों के सही मूल्य दिलाने, कर्ज से राहत आदि की प्राथमिकताएं इस साल हैं. इस संबंध...
More »शिक्षा के 'उद्योग' में फीस नियंत्रण की रस्म अदायगी!
देशभर में आए दिन सामने आने वाले विवादों-मुद्दों में कम ही ऐसा होता है, जिस पर सभी एकमत हों! अपवाद का ऐसा ही एक आधार है-निजी स्कूलों की बेलगाम फीस। सभी एकमत हैं कि फीस बहुत ज्यादा है और इस पर नियंत्रण होना ही चाहिए। निजी स्कूलों की स्थिति समझने के लिए सबसे पहले कुछ संदर्भ। वर्ष 2010-11 से 2015-16 के बीच 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में 1 करोड़...
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