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बीतते हुए 2015 में टूटीं समृद्धि की उम्मीदें, अपेक्षा से कम आर्थिक विकास

इस बात की जरूरत है कि सरकार राजनीतिक इच्छाशक्ति से सब्सिडी में कटौती कर अधिक कुशल, बुद्धिमत्तापूर्ण तथा सतर्क कराधान के साथ-साथ उद्योग, बुनियादी ढांचे के विस्तार और आधुनिकीकरण के क्षेत्र में अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकृष्ट कर पूंजीगत व्यय बढ़ाये़ अर्थव्यवस्था में कुछ मामूली बेहतरी के संकेतों को छोड़ दें, तो 2015 के आर्थिक रुझान बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं रहे हैं. वर्ष के आखिरी महीने में संसद में पेश अर्द्धवार्षिक आर्थिक...

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किसानों के लिए लाएं अच्छे दिन- ज्योतिरादित्य सिधिया

हमारे देश की नींव दो लोगों के कंधे पर खड़ी है, इनमें प्रथम जवान हैं दूसरे किसान हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- जय जवान, जय किसान। वर्तमान सरकार के पिछले 18 महीने के कार्यकाल में कृषि के क्षेत्र को बहुत ही बेरहमी से कुचला गया है। कृषि भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ है। न केवल जीडीपी में इसका 16 प्रतिशत का योगदान है, बल्कि लगभग 50...

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देश की हर गृहिणी को मिलेगी रसोई गैसः प्रधान

दुनिया में पर्यावरण व प्रदूषण पर जारी बहस के बीच पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश की करोड़ों गृहिणियों को लकड़ी और उपले से खाना बनाने से छुटकारा दिलाने का वादा किया है। 'नईदुनिया' के सहयोगी अखबार 'दैनिक जागरण' के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन के साथ खास बातचीत में प्रधान ने केंद्र सरकार की एलपीजी क्रांति के बारे में विस्तार से बताया। सीधे जनता के हाथ में नकद...

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दूसरे देशों को स्किल दीजिए -- भरत झुनझुनवाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है. जरूरत है कि इस प्रयास को ठोस नींव पर खड़ा किया जाये. इस दिशा में देश की आर्थिक हालत आड़े आ रही है. दूसरे देशों को पूर्व में दिये गये आश्वासनों को हम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. संसद की विदेश मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष दिसंबर 2014 में बताया गया था...

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तेज इकोनॉमिक ग्रोथ का फॉर्मूला- भरत झुनझुनवाला

बाजार में मंदी का वातावरण है. महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के सीमेंट विक्रेता ने बताया कि उसकी बिक्री 40 प्रतिशत कम हुई है. सूरत के टैक्सी वाले के ग्राहकों में कमी आयी है. अब उसकी टैक्सी माह में 6-7 दिन ही चलती है. बाकी खड़ी रहती है, चूंकि बाहर के व्यापारी कम ही आ रहे है. बाजार में मांग के दो स्रोत हैं- घरेलू एवं विदेशी. लेकिन इस समय दोनों...

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