जाति का भूत देखते ही अच्छे-अच्छों की मति मारी जाती है। या तो लोग बिल्ली के सामने आंख मूंदे कबूतर की तरह हो जाते हैं, और यह खुशफहमी पालने लगते हैं कि जाति है ही नहीं। या फिर उनकी गति सावन के अंधे की तरह हो जाती है, और उन्हें हर बात में जाति ही जाति नजर आने लगती है। सरकार द्वारा सामाजिक-आर्थिक-जाति जनगणना के जाति संबंधी आंकड़े सार्वजनिक न करने...
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जाति के आंकड़ों से कौन डरता है?- योगेन्द्र यादव
जाति का भूत देखते ही अच्छे-अच्छों की मति मारी जाती है. या तो लोग बिल्ली के सामने आंख मूंदे खड़े कबूतर की तरह हो जाते है, कड़वी सच्चाई का सामना करने के बजाय यह खुशफहमी पालने लगते हैं कि जाति है ही नहीं. या फिर उनकी गति सावन के अंधे की तरह हो जाती है. सावन के अंधे को हरा ही हरा सूझता है और इसी तर्ज पर कुछ लोगों...
More »मजदूर महिला ने आगे आकर संभाला स्कूल की सफाई का जिम्मा
पन्ना(मध्यप्रदेश)। आज के समय में हर तरह स्कूल की सफाई बच्चों पर निर्भर है। प्राथमिक एवं मिडिल में कोई सफाईकर्मी नही है। यह कार्य गलत है या सही इस पर चर्चा की जाती है, लेकिन समाज से या स्थानीय स्तर से किसी प्रकार हल नही निकाला जाता है। ग्रामीण और सरकार के लोग बहस में फंसकर रह जाते है। पन्ना से लगभग 25 किमी दूर पार्क से लगा कोटा गुंजापुर जहां...
More »भिखारियों को मिलेगा कालकाजी मंदिर में अधिकार- श्याम सुमन
कालकाजी मंदिर को सार्वजनिक पूजा स्थल घोषित करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यहां भीख मांगने वाले भिखारियों को भी मंदिर में जगह दी जाएगी और उनके लिए स्थान नियत किया जाएगा। इतना सुनते ही मंदिर पर मालिकाना हक के लिए लड़ाई कर रहे जोगियों और पुजारियों के चेहरे उतर गए। जटिस्स दीपक मिश्र और पीसी पंत की पीठ के यह बात सख्ती से कही और पुजारी को...
More »कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा
सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
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