हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
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अंग्रेजी बोलेंगे महादलित बच्चे
अब बिहार में अगर आपको महादलित परिवार के बच्चो और युवक फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते मिल जाएं तो चौंकिएगा नहीं, क्योंकि सरकार ने इन बच्चों को बदलते जमाने और वर्तमान परिवेश के विकास की दौ़ड में बनाए रखने के लिए न केवल अंग्रेजी, बल्कि कम्प्यूटर का भी ज्ञान देना शुरू कर दिया है. इन बच्चों को "स्पोकेन इंग्लिश" का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सरकार का मानना है कि समाज के...
More »भत्ते से ज्यादा भर्ती की जरूरत- वीरेंद्र नाथ(तहलका)
उत्तर प्रदेश में एक तरफ लाखों लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने की तैयारी हो रही है और दूसरी तरफ खाली पड़े लाखों पद बेरोजगारों की बाट जोह रहे हैं. वीरेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट हाल ही में उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य का बजट पेश किया. हालांकि राज्य में चुनाव अभी बहुत दूर हैं, लेकिन अखिलेश का बजट बिल्कुल लोकलुभावन है. उनके बजट में लोगों की सबसे...
More »कार्टून विवाद के सबक- सुनील
जनसत्ता 30 मई, 2012: एनसीइआरटी की ग्यारहवीं कक्षा की एक पाठ्यपुस्तक के जिस कार्टून पर विवाद खड़ा हुआ, बात महज उस कार्टून तक रहती तो समझ में आती। लेकिन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक झटके में सारे कार्टून हटाने की घोषणा कर दी। छह साल पहले बड़ी मेहनत से तैयार कक्षा नौ से बारह तक की राजनीति शास्त्र की सारी पाठ्यपुस्तकों को वापस लेने का एलान कर दिया। बाकी समाज...
More »सावधान! नहीं तो मारे जाओगे
नई दिल्ली। रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ते उतार-चढ़ाव, व्यस्तता, घरेलू झगड़े, अवैध संबंधों के दौरान गर्भधारण, करियर की उधेड़बुन, किस्तों का बोझ, रिश्तों में दरार.. ऐसे कुछ स्पष्ट कारण भारतीय जनजीवन में उभर कर सामने आए हैं, जो मानसिक तनाव को इस कदर बढ़ा रहे हैं कि लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। जी हां, यह कहना है नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक अहम रिपोर्ट का। तमाम तरह के तनावों...
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