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बिल गेट्स, नीतीश से खुश माया से मायूस

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। दुनिया के सबसे अमीर शख्स बिल गेट्स बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जितने खुश हैं, उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से उतने ही मायूस हैं। दुनिया भर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले एक दशक से सबसे ज्यादा आर्थिक सहयोग करने वाले गेट्स बिहार सरकार के साथ सहयोग के लिए समझौता कर के लौटे हैं। जबकि दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश सरकार ने उनके संपर्क करने के बावजूद उन्हें जवाब देना तक जरूरी नहीं समझा।...

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जननियों को कंप्यूटर सिखायेगा जनक

रायबरेली। माइक्रोसाफ्ट के जनक बिल गेट्स ने रायबरेली की महिलाओं को अमेरिका आकर कंप्यूटर सीखने का न्योता दिया है। गेट्स मंगलवार को अमेठी के सांसद राहुल गांधी के साथ रायबरेली व अमेठी संसदीय क्षेत्र में महिलाओं से मिलने पहुंचे थे। समूह क्या है व कैसे बनता है? पहली बार घर से बाहर निकलीं तो क्या समस्याएं सामने आयीं? समाज व साहूकारों का आपके प्रति कैसा व्यवहार है? उनका नजरिया बदला? पतियों का पलायन क्या...

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यह शर्मनाक सौदा लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक है!- पी साईनाथ

हाल ही में संपन्न हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टियों और उम्मीदवारों के द्वारा अपने प्रचार के लिए मीडिया में धन का जम कर इस्तेमाल हुआ। अपने किसी भी चुनावी कवरेज के लिए एक उम्मीदवार को धन के इस संगठित खेल का हिस्सा होना पड़ा या कहें तो जबरन मजबूरी में इसका हिस्सा होना पड़ा। क्योंकि ऐसी धन संस्कृति का मीडिया में इस्तेमाल होने लगा है कि पैसा नहीं तो कवरेज भी नहीं। मीडियाई दुनिया...

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भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका

उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...

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हमारा बीपीएल और उनका आईपीएल- देविंदर शर्मा

2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...

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