वस्तु एवं सेवा कर विधेयक (जीएसटी बिल) एक राष्ट्रीय मूल्यवद्र्धित कर प्रणाली प्रस्तावित करता है। वैसे तो इसे जून 2016 तक कानून का रूप ले लेना चाहिए था, लेकिन सत्तापक्ष-विपक्ष में टकराव की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। अब लगता है कि जल्द ही यह कानून बन जाएगा। बुधवार को यह बिल सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लंबी चर्चा के जरिए बनी सहमति के बाद राज्यसभा में पारित हो...
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शिक्षा भी, मजदूरी भी-- कृष्ण कुमार
कहते हैं, शब्दों की अपनी दुनिया होती है। कवि और कहानीकार शब्दों के जरिए हमें किसी और दुनिया में ले जाते हैं। फिर कानून रचने वाले क्यों पीछे रहें? नए बाल मजदूरी कानून का प्रयास कुछ ऐसा ही है। यह कानून कहता है कि छह से चौदह वर्ष के बच्चे स्कूल से घर लौट कर किसी ‘पारिवारिक उद्यम' में हाथ बंटाएं तो इसे मजदूरी नहीं माना जाएगा। इस सुघड़ तर्क...
More »खाड़ी देश में फंसे प्रवासियों की पीड़ा - रहीस सिंह
कभी-कभी दो परस्पर विरोधी स्थितियां जब सामने आती हैं, तो वे संशय पैदा करने के साथ काफी हद तक हमें असहज भी बना जाती हैं। इन स्थितियों को देख एक आम प्रश्न मन में उठता है कि यदि हम दुनिया की सबसे चमकदार अर्थव्यवस्था बन रहे हैं तो फिर हमारे युवाओं को काम के लिए दूसरे देशों में खाक छानने की जरूरत क्यों पड़ रही है? दूसरा सवाल यह कि...
More »उड़ती उदारता के पैर हैं नदारद-- अनिल रघुराज
आर्थिक विकास का मतलब अगर देशी-विदेशी कंपनियों के मुनाफे और शेयर बाजार का बढ़ना है, तो देश ने यकीनन पिछले 25 सालों में अच्छा विकास किया है. बीएसइ सेंसेक्स 29 जुलाई, 1991 को 1637.70 पर बंद हुआ था. अभी 29 जुलाई, 2016 को 28,051.86 पर बंद हुआ है. 25 साल में 1612.88 प्रतिशत वृद्धि या 12.03 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्धि दर. बाजार में इस दौरान विषमता भी घटी है. 1991...
More »आर्थिक विकास के लिए नीतियां जरूरी
वैश्विक होती अर्थव्यवस्था के दौर में समान विकास की अवधारणा मजबूत हो रही है. नीति-निर्माता से लेकर आर्थिक विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि विकास दर जरूरी है, लेकिन बिना आर्थिक असमानता को दूर किये विकास अधूरा है. इस व्यापक सोच के साथ रांची में ‘इंटरनेशनल काॅन्फ्रेस ऑन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन झारखंड: चैलेंज एंड अपॉर्चुनिटी' विषय पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. पूर्वी भारत...
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