राजनीतिशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वान रजनी कोठारी के जीवन और कृतित्व के बारे में जाने बिना भारतीय राजनीति और समाज के आपसी रिश्तों के बारे जानना नामुमकिन है. इस लिहाज से उनका विमर्श भारतीय राजनीति की एक पूरी किताब की तरह है, जिसे पढ़ना हर समझदार व्यक्ति के लिए अनिवार्य है. 1969 में प्रकाशित अपनी सबसे मशहूर रचना ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया' में उन्होंने दावा किया था कि भारतीय समाज के संदर्भ...
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बच्चों को लिखना-पढ़ना नहीं आया - योगेन्द्र यादव
पिछले महीने वंचित तबके के बच्चों के बीच काम करनेवाले एक संगठन ने न्योता भेजा कि आपको शिक्षा के मुद्दे पर आयोजित हमारे एक संवाद में बोलना है. बीजेपी और कांग्रेस के प्रतिनिधि भी आमंत्रित थे. विषय था- ‘2030 में शिक्षा का भविष्य'. संचालन की भूमिका एक जाने-पहचाने टीवी एंकर ने संभाल रखी थी. शुरुआत ही में एंकर ने हम तीनों में झगड़ा करवाने की कोशिश की. मैंने इस खेल में...
More »शिक्षा की दुनिया से गैजेट्स का नाता - डेजी क्रिस्टोडुलू
मौजूदा डिजिटल युग की नई पीढ़ी जिस सामूहिक व सामाजिक रूप में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है, उसे देखते हुए कई लोगों का मानना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। पर दूसरी तरफ ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं कि स्मार्टफोन, टैबलेट, ई-रीडर्स व लैपटॉप जैसे गैजेट्स इस नई पीढ़ी की एकाग्रता व गहरे...
More »बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन
संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
More »कब समझेंगे उनके बेघर होने का दर्द- सुभाषिनी सहगल अली
बहुत ही छोटा-सा शब्द है घर। लेकिन शायद इससे ज्यादा महत्व और मायने से भरा शब्द किसी इन्सान के लिए है ही नहीं। इसका होना उसको 'अपना' कहने वाले को पहचान, परिभाषा, संरक्षण- सब कुछ देता है। इसलिए बेघर हो जाने से बड़ी सजा किसी को नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं है कि राहुल की मां अकेले ही बेघर हुई। 15 साल पहले, जनवरी के सर्द दिनों में उनके...
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