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'अर्बन नक्सल' कौन है, कहां है-- रविभूषण

'अर्बन नक्सल' एक गढ़ा हुआ राजनीतिक पद है. इसका अर्थ उन शहरी पत्रकारों, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संस्कृतिकर्मियों से है, जो नक्सलवाद, माओवाद के समर्थक हैं. इस पद की वास्तविकता और इसके पीछे सत्ता-व्यवस्था और सरकारों की नीतियों पर इसके साथ कम विचार किया गया है. फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की पुस्तक 'अर्बन नक्सल्स : द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' (अंग्रेजी में गरुण प्रकाशन से...

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शक का दायरा और पुलिस की सोच-- विभूति नारायण

ढाई-तीन दशक पहले की एक शाम आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी से गपियाते हुए मुझे दो दिलचस्प तथ्य पता चले। पहला तो यह कि अलिखित नियमों के तहत आईबी यानी भारत की सबसे महत्वपूर्ण खुफिया संस्था इंटेलिजेंस ब्यूरो में किसी मुस्लिम आईपीएस अफसर को नहीं लिया जाता। यह कोई ढका-छिपा सच नहीं था। मुझे भी पता था, पर दिलचस्प इसलिए कह रहा हूं कि उन दिनों नौकरशाही के सबसे बड़े...

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सड़कों पर उतरे देशभर के किसान-मजदूर

नयी दिल्ली : भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने बुधवार को कहा कि स्कूल आधार कार्ड के अभाव में बच्चों को दाखिला देने से इनकार नहीं कर सकते हैं और ऐसा करना अवैध करार दिया जाएगा. यूआईडीएआई ने स्कूलों को प्रोत्साहित किया कि वह स्थानीय बैंकों, डाक कार्यालयों, राज्य शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के साथ मिलकर अपने परिसर में बच्चों का आधार कार्ड बनवाने और उसे अपडेट कराने के लिए...

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खेती और गांव की बदहाली-- डा. अश्विनी महाजन

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नबार्ड) ने अखिल भारतीय ग्रामीण समावेशी वित्तीय सर्वेक्षण, 2016-17 की रिपोर्ट में जो आंकड़े जारी किये हैं, इससे पता चलता है कि कृषि में संलग्न गृहस्थों की आमदनी में खेती और सहायक गतिविधियों जैसे पशुपालन इत्यादि से मात्र 43 प्रतिशत ही आमदनी मिलती है, जबकि शेष 57 प्रतिशत आय नौकरी, मजदूरी, उद्यम इत्यादि से प्राप्त होती है. ऐसे गृहस्थ जो कृषि में संलग्न...

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हजारों खाली फ्लैट और बेघर लोग- सुभाष गाताडे

देश में तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण और नये-नये इलाकों में आप्रवासियों के लिए बनते नये उपनगरों में अनुमान के हिसाब से लोगों के न पहुंचने से वहां बिल्कुल खाली पड़े लाखों मकानों के बारे में अक्सर चर्चा होती है. कहा जा रहा है कि चीन में पचास से अधिक ऐसे इलाके हैं, जहां नवनिर्मित आवासीय इकाइयां लगभग खाली पड़ी हैं. विडंबना ही है कि अब भारत में भी...

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