गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...
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दावं पर सब, पर रोशन हुआ गांव
। स्कूल के लिए दान की पूरी जमीन, खुद झोपड़ी में रह रहे हैं महावीर।। उम्मीदें, जुनून हों, तो कदम कहां थमते. कुछ ऐसे ही हैं वैशाली जिले के निवासी 75 वर्षीय महावीर सहनी. भले ही सातवीं पास हैं, पर उनके विचारों के आगे बड़े-बड़े डिग्रीधारी भी कमजोर नजर आते हैं. गांव में स्कूल की स्थापना के लिए उन्होंने अपनी जमीन दान में दी और खुद झोपड़ी में रह रहे हैं. इस...
More »50 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त
राज्य गठन के समय झारखंड में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 19 हजार थी. आज यह बढ़ कर 41 हजार हो गयी है. राज्य में स्कूल तो बढ़े पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. प्राथमिक से लेकर प्लस टू उच्च विद्यालय तक शिक्षकों के लगभग 50 हजार से अधिक पद रिक्त हैं. राजकीय व प्रोजेक्ट उच्च विद्यालयों में 25 वर्ष से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई. कुल 7900 राजकीयकृत उच्च विद्यालयों में 12...
More »मध्याह्न भोजन में खीर खाने से 100 बच्चे बीमार
बदायूं : उत्तर प्रदेश में बदायूं जिले के दातागंज स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में आज मध्याह्न भोजन योजना के तहत दी गयी खीर खाने से करीब 100 बच्चों की तबीयत खराब हो गयी. इनमें से 16 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कृपाशंकर वर्मा ने यहां बताया कि दातागंज तहसील के अगोरी गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन के तौर पर दी गयी खीर खाने...
More »तू क्यों पिछड़ी लाडो!- प्रियंका कौशल
छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में आज भी महिलाओं को पुरुषों से ऊंचा दर्जा दिया जाता है और इसकी शुरुआत होती है परिवार में बेटियों को तवज्जो देने से. लेकिन राज्य की राजनीति में यह तस्वीर बिल्कुल उल्टी है. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. राजनीति में परिवारवाद ऐसी बुराई हो चली है जिसके खिलाफ कोई मुहिम नहीं छेड़ी जा सकती. अब यदि ऐसा है तो क्या इसमें कुछ सकारात्मक पक्ष खोजा जा सकता...
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