नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने मौजूदा आर्थिक परिवेश को कठिन बताते हुए 12 पंचवर्षीय योजना में आठ प्रतिशत वृद्धि के घटाए गए लक्ष्य को हासिल करने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढाने और सब्सिडी में कटौती जैसे कठोर निर्णय लिये जाने का संकेत दिया है. राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की आज यहां विज्ञान भवन में आयोजित 57वीं बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को...
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प्रतिरोध का कारवां- भारत डोगरा
जनसत्ता 7 नवंबर, 2012: यूपीए सरकार ने जिस तरह खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश को आगे बढ़ाने की जिद पकड़ी है उसकी ठीक ही व्यापक आलोचना हुई है। कोई ठोस प्रमाण दिए बिना ही सरकार ने कह दिया कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। कुछ समय के लिए खुदरा में बहुराष्टÑीय कंपनियों का प्रवेश जरूर चकाचौंध उत्पन्न कर सकता है, पर शीघ्र ही यह स्पष्ट...
More »सूचना अधिकार में सेंध- गौरव कुमार
जनसत्ता 1 नवंबर, 2012: पारदर्शी, भ्रष्टाचार-मुक्त, लोकहित केंद्रित कल्याणकारी प्रशासन के वादों के साथ बारह अक्तूबर 2005 को यूपीए सरकार ने सूचना का अधिकार कानून लागू किया। देश में अपनी तरह का यह पहला कानून था, जिसने लोगों के हाथ में सूचना पाने का अधिकार दिया। इसके पहले 1923 का जो कार्यालय गोपनीयता कानून था वह ब्रिटिश-हितों के लिए बनाया गया था, जिसके अंतर्गत यह प्रावधान था कि जनता को सरकारी...
More »सहकारिता से चुनावी सबक- शिरीष खरे
केंद्र सरकार द्वारा सहकारिता अधिनियम में किए गए एक बदलाव ने मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सहकारिता चुनाव को अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास बना दिया है. शिरीष खरे की रिपोर्ट. मध्य प्रदेश में सहकारी संस्थाओं पर सत्तासीन होने के लिए भाजपा और कांग्रेस के बीच की उठापटक के साथ ही आगामी विधानसभा का चुनावी बिगुल भी बज गया है. असल में यह 2013 के...
More »अंगदान और सामाजिक पूर्वग्रह- सुभाष गताडे
जनसत्ता 20 अक्टुबर, 2012: दिल्ली के एक अग्रणी अस्पताल में पिछले दिनों एक अलग किस्म के सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। महज सत्रह साल की उम्र में दुर्घटना की शिकार हुई पायल (बदला हुआ नाम)- जिसे डॉक्टरों ने ब्रेन-डेड घोषित किया था उसके माता-पिता इस समारोह के केंद्र में थे, जिनके बेहद कठिन निर्णय से तीन लोगों की जिंदगी बची और दो लोगों की दृष्टि वापस लौटी। निश्चय ही उनके लिए...
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