कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
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उपभोक्ता, प्रतिस्पर्द्धा और अर्थशास्त्र-- पी. चिदंबरम
मुझे जुलाई 2008 का वह दिन याद है जब कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। मुझे वह दिन भी याद है जब सऊदी अरब के शाह ने तेल की चढ़ती कीमतों के संकट पर चर्चा करने के लिए तेल उत्पादक देशों और तेल खरीदार देशों की बैठक बुलाई थी। मैंने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुआई की थी, जिसमें तब के पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा भी...
More »12वीं फेल दमा का डॉक्टर तो होम्योपैथ में दो बार फेल बना कैंसर विशेषज्ञ
रांची: 12 वीं फेल, यूनानी दवा बेचनेवाला और दो बार फेल होनेवाला भी फर्जी डिग्री के सहारे प्रख्यात चिकित्सक बन गये. कोलकाता सीआइडी की टीम ने एक दर्जन से अधिक ऐसे फर्जी डॉक्टरों को पकड़ा है. जांच के क्रम में इनकी संख्या में वृद्धि हो सकती है. ऐसे फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर कोलकाता से लेकर कोयंबटूर तक बेखौफ प्रैक्टिस कर रहे हैं. कोई कैंसर विशेषज्ञ, तो कोई दमा स्पेशलिस्ट बन...
More »आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश
यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...
More »नोटबंदी के बाद चालू वित्त वर्ष पहली ही तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 0.4 फीसदी फिसली
नयी दिल्ली: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर 5.7 फीसदी पर आ गयी है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है. यह लगातार दूसरी तिमाही है, जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन से पीछे रही है. विनिर्माण गतिविधियों में सुस्ती के बीच नोटबंदी का असर कायम रहने से जीडीपी की वृद्धि दर कम रही है....
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