तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...
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कब कमर कसेगी सरकार-- शंकर अय्यर
आप इसे बजट राग कह सकते हैं, जो पैसे के मूल मंत्र पर केंद्रित है। बजट के मौसम में सरकारी विचार कक्ष में पैसे के बारे में काफी चर्चा होती है। इस बार भी चर्चा हो रही है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए या उसकी चिंता छोड़ देनी चाहिए। चर्चा इस पर भी है कि किसे दर्द सहना चाहिए और किसे फायदा होगा। विकास का सिद्धांत...
More »अप्रैल से पांच कृषि मंडी में घर बैठे बोली लगाएंगे व्यापारी
रायपुर (निप्र)। किसानों को अनाज का ज्यादा दाम मिले, इसलिए प्रदेश की 5 बड़ी मंडियों में ऑनलाइन बोली लगेगी। इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। भारत सरकार के लघु व्यापार कृषि संगठन द्वारा तैयार की जा रही सॉफ्टवेयर की टीम पिछले दिनों यहां से सर्वे कर लौटी है। उम्मीद है कि अप्रैल तक इस सॉफ्टवेयर से ई-ट्रेडिंग के तहत अनाजों की बोली शुरू हो जाएगी। पहले चरण में...
More »किसानों को उचित दाम दीजिए- भरत झुनझुनवाला
किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार संवेदनशील दिखती है, पर मात्र संवेदनशीलता से बात नहीं बनती है. पाॅलिसी की दिशा भी सही होनी चाहिए. मात्र उत्पादन बढ़ाने से किसान का उद्धार नहीं होगा. साठ के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में खेत परती पड़े रहते थे. सिंचाई रहट और ढेकली से होती थी. आज पूरे क्षेत्र में ट्यूबवेल का जाल बिछ गया है. बैल के स्थान पर ट्रैक्टर से खेती हो...
More »'कैसा क़ानून कि पेट की अंतड़ियां ऐंठती रहें?'-- नीरज सिन्हा
निराशो देवी को बाल-बच्चे नहीं हैं, पति कुछ दिन पहले चल बसे, चूंकि राशन कार्ड नहीं इसलिए सरकारी अनाज उन्हें नहीं मिल सकता- स्थिति अब भूखों मरने की है. सालहन के बंधन नायक के परिवार का ‘पेट नदी-नालों से पकड़ी मछलियों को खाकर भरता है.' वो भी हर दिन हासिल नहीं हो पाता है. राजधानी रांची से महज़ 35 किलोमीटर दूर बसे सालहन में दर्जनों और झारखंड में हज़ारों ऐसे ग़रीब परिवार हैं...
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