कुपोषण के बारे में अक्सर मान लिया जाता है कि यह तो गरीब राज्यों का लक्षण है और अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य कुपोषण को मिटाने की राह पर हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कुपोषण की शिकार महिलाओं और औसत से कम वजन के बच्चों की एक बड़ी तादाद धनी माने जाने वाले राज्यों में मौजूद है और ध्यान रहे कि इन दोनों को मानव-विकास के निर्देशांक में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता...
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सूखा राहत नहीं, कैश स्कीम शुरू करें केंद्र सरकार
दो बार लगातार सूखा पड़ने और उसमें हजारों लोगों की जान जाने के बाद मैंने साल 1965 में पत्रकारिता में प्रवेश किया। सूखे की स्थिति उस समय इतनी भयावह थी कि भारत को अमेरिका के सामने मदद के लिए हाथ फैलाना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय खाद्य मदद में उस समय भारत की भागीदारी इतनी अधिक थी कि उस समय सबसे अधिक बिकने वाली एक किताब में दावा किया गया कि भारत को...
More »अच्छी बारिश से बढ़ सकता है चीनी उत्पादन
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि देरी से आए मानसूनी बारिश के दौर से देश में गन्ने की फसल को फायदा होने की संभावना है। इससे चीनी उत्पादन पिछले अनुमान से 10 फीसदी बढ़ सकता है। एक अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में सरकार ने 160 से 170 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान पहले लगाया था। उत्पादन में बढ़ोतरी से चीनी आयात की...
More »नर्मदा की गोद से बेदखल
एक नजर में *गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारें बांध की ऊंचाई बढ़ाना चाहती हैं मगर सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि पहले हर विस्थापित का पुनर्वास हो *बांध ने कुल करीब दो लाख लोगों को प्रभावित किया जिनमें से आधे से ज्यादा आज भी बेघरबार हैं *मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि उसके पास विस्थापितों को देने के लिए जमीन नहीं फिर भी वो सबके पुनर्वास का दावा कर...
More »किसान और आत्महत्या
खास बात • राष्ट्रीय स्तर पर हुई कुल आत्महत्याओं में किसान-आत्महत्याओं का प्रतिशत साल 1996 में 15.6% , साल 2002 में 16.3% साल 2006 में 14.4% , साल 2009 में 13.7% तथा साल 2010 में 11.9% तथा साल 2011 में 10.3% रहा है। # • राष्ट्रीय स्तर पर हुई कुल आत्महत्याओं में किसान-आत्महत्याओं का प्रतिशत साल 2014 में 9.4%,साल 2015 में 9.43%, साल 2016 में 8.7%, साल 2017 में 8.2%, साल 2018 में 7.69% रहा है। • 2018...
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