जनसत्ता 29 अप्रैल, 2013: भूमि अधिग्रहण (पुनर्वास और पुनर्स्थापन) विधेयक अब कानून बनने की दिशा में निर्णायक मोड़ पर आ चुका है। एक सौ सत्तासी संशोधनों के सुझावों के बाद अब अगर संसद में विधेयक पर मुहर लग जाती है तो एक तरफ जहां सरकार अपनी पीठ थपथपाएगी वहीं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जिनकी जमीनें अधिग्रहीत की जानी हैं, वे भी मुआवजा बढ़ने से शायद राहत महसूस करें। लेकिन...
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सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी, निजी में भरमार
भागलपुर: सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी ने शिक्षण के निजी व्यवसाय को हवा देने में कोर-कसर नहीं छोड़ी है. सरकारी शिक्षण संस्थान मूलभूत सुविधाओं को भी खोता जा रहा है, भवन पुराने होते जा रहे हैं, कर्मचारियों तक की कमी होती जा रही है. दूसरी ओर तमाम सुविधाएं ही नहीं, एयर कंडीशंड क्लासरूम, शिक्षकों की नियमित उपस्थिति, बिना परेशानी फटाफट होनेवाली कागजी कार्रवाई के साथ निजी शिक्षण...
More »आम लोगों के दान से सुधारेंगे सरकारी स्कूलों की सेहत
गुडग़ांव। स्कूलों की दशा सुधारने के लिए प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग अब आम लोगों के साथ एनजीओ, सामाजिक संगठनों और निजी कंपनियों का सहारा ले रहा है। इसके लिए विभाग ने स्कूल नर्चर पॉलिसी बनाई है, जिसके तहत एक वेबसाइट तैयार की गई है। इस पर प्रदेश के सभी स्कूलों की जानकारी उपलब्ध होगी। जो...
More »आंदोलन का जश्न -- मेधा( कुडनकुलम से विशेष रिपोर्ट)
इस बार 31 दिसंबर की शाम कुछ अलग तरह से गुजर रही है। दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर कन्याकुमारी के तटीय गांव इदिंतकराई में। तमिल में इदिंतकराई का अर्थ है- टूटा हुआ तट। यह गांव बंगाल की खाड़ी के जिस तट पर बसा है, वह एक जगह से टूटा है। गांव के नाम में, उसके तट में टूटन भले हो, लेकिन यहां के लोगों मंे कहीं आपसी टूटन नहीं दिख...
More »पुलिस का चेहरा- प्रेमपाल शर्मा
जनसत्ता 18 जनवरी, 2013: स्त्री की हिफाजत, हैसियत, बराबरी के किसी मुद्दे पर इतना बड़ा तूफान भारतीय समाज में शायद पहले कभी न खड़ा हुआ हो। दिल्ली में ही लोग सड़कों पर नहीं उतरे, मणिपुर, जम्मू, चेन्नै से लेकर मुंबई, कोलकाता आदि शहरों में भी आक्रोश और पश्चाताप के अलग-अलग स्वर सुनने को मिले। हमारी सामाजिक गिरावट की विडंबना का एक नमूना यह भी रहा कि फिजा में फैली फांसी की मांग...
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