पंजाब के कपास किसानों के लिए यह वर्ष भी तगड़ा मुनाफे वाला साबित हो रहा है क्योंकि कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,800 रुपये प्रति क्विंटल से लगातार ऊपर बने हुए हैं। वजह यह है कि विभिन्न मंडियों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कपास की आवक कम हो रही है। इस वर्ष 11 अक्टूबर तक राज्य की मंडियों में कपास की आवक तकरीबन 28 फीसदी कम...
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कॉमनवेल्थ खेल- दिल्ली से मजदूरों की बेदखली का आयोजन
जिस व्यक्ति, संस्था या विभाग ने तैयारियों में थोड़ा सा भी योगदान किया था कॉमनवेल्थ खेलों के उद्धाटन समारोह लंबे भाषणों में सबको याद किया गया। क्या किसी को इन भाषणों में उन हजारों मजदूरों के लिए भी आभार का एक शब्द सुनाई दिया जिनकी मेहनत से यह विश्वस्तरीय आयोजन संभव हो सका। शायद यह अनजाने में होने वाली भूल हो या फिर यह भी हो सकता है कि ऐसा करना जरुरी ना लगा हो। वैसे भी,...
More »बच्चों की कब्रगाह है मेलघाट-शिरीष खरे
विदर्भ को देश भर में किसानों की आत्महत्या वाले इलाके के रुप में जाना जाता है लेकिन इसी इलाके में सतपुड़ा पर्वत में बसी मेलघाट की पहाड़ियों में छोटे बच्चों की मौत के आंकड़े पहाड़ियों से ऊंचे होते चले जा रहे हैं. साल दर साल कोरकू आदिवासियों के हजारों बच्चे असमय काल के गाल में समाते चले जा रहे हैं. कुपोषण मेलघाट में 1993 को पहली बार कुपोषण से बच्चों के मरने...
More »ग्लोबल वार्मिंग से चावल का उत्पादन घटा, भूख से मारेगी बढ़ती गर्मी
नई दिल्ली. धरती के बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिंग)के जो भी बुरे नतीजे होने वाले हैं, उनमें एक और बुरी चीज जुड़ गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के तापमान में हो रही बढ़ोतरी की वजह से एशियाई देशों में चावल की पैदावार लगातार घट रही है। एशिया चावल का प्रमुख उत्पादक देश है। यहां के लोगों का मुख्य अनाज भी चावल है। चावल की कमी के...
More »पानी के लिए कोई नहीं पानी-पानी
पटना पानी चीज ही अजीब है। पानी चढ़ता है, उतरता है..पानी जमता है। टंकी पर चढ़ने वाला पानी कभी सिर पर भी चढ़ जाता है। पानी से आदमी पानी-पानी भी होता है। लेकिन सूबे में जल संचयन के लिए बने कानून को लागू करने में प्रशासन खुद पानी-पानी है। यही वजह है कि अब तक सख्ती से यह लागू नहीं हो सका है और भूजल-वाटर रिचार्ज...
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