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नक्सली दहशत के चलते गांव छोड़ गए आदिवासी लाए जाएंगे वापस

जगदलपुर (ब्यूरो)। नक्सल दहशत के चलते अपना घरबार छोड़कर पड़ोसी प्रदेशों में कई वर्षों से निर्वासित जीवन गुजार रहे दक्षिण बस्तर के आदिवासियों को सुरक्षित उनके गांव लाकर फिर से बसाने की कवायद की जा रही है। गांव छोड़कर गए ज्यादातर ग्रामीण सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के हैं। लगभग 25 हजार आदिवासी कोंटा से सटे तेलंगाना के खम्मम व वारंगल जिले के ग्रामीण इलाकों में रह रहे हैं। आडिशा के...

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हजार में 46 बच्चों की हो रही मौत, केंद्र से मांगे 56 करोड़

रायपुर (निप्र)। राज्य में हर साल करीब 4 लाख बच्चे जन्म लेते हैं और इनमें से लगभग 18 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में शिशु मृत्युदर का प्रतिशत प्रति हजार 46 है। अब राज्य सरकार ने नया लक्ष्य तैयार किया है, जिसमें प्रति हजार 46 बच्चों की मौत को 2017 तक घटाकर 30 तक पहुंचना है, जिसके लिए केंद्र से सत्र...

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बिहार के 51 प्रतिशत घरों में मोबाइल, 23 प्रतिशत में टॉयलेट

पटना। पिछले हफ्ते जनगणना आंकड़ों से संबंधित रिपोर्ट जारी होने के बाद जानकारी प्राप्‍त हुई है कि बिहार के 51.6 घरों में कम से कम एक मोबाइल फोन है और 23 प्रतिशत घरों में टॉयलेट उपलब्‍ध है। उपलब्‍ध टॉयलेट में 69 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में और 17.6 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं। इस संबंध में थिंक टैंक के डायरेक्‍टर डीएम दिवाकर और इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल स्‍टडीज के एएन सिन्‍हा का...

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50 हजार से अधिक गाँव के मास्टर प्लान बनाने वाला मप्र पहला राज्य

भोपाल । विकेन्द्रीकृत नियोजन की अवधारणा को अमल में लाते हुए प्रदेश के सभी 50 हजार 982 गाँव के मास्टर प्लान बनाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इस कार्य के लिये मध्यप्रदेश विधानसभा में संकल्प पारित किया गया था। मास्टर प्लान को क्रियान्वित करने के लिये राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किये हैं। उनसे 2015-16 की जिला योजना तैयार करने को भी कहा गया है।...

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आप भी शुरू करें अपना रेडियो स्टेशन- आर के नीरद

मित्रों, पिछले अंक में हमने बात कि कैसे आप भी अपना अखबार निकाल सकते हैं और उसके जरिये गांव-पंचायत में बदलाव ला सकते हैं. इस अंक में हम बात कर रहे हैं सामुदायिक रेडियो की. आप जानते हैं कि जब गांवों में अखबार नहीं पहुंचा था, तब रेडियो ही लोगों के मनोरंजन, ज्ञान और सूचना का बड़ा माध्यम था. आज भी वहां रेडियो के कार्यक्रम और समाचार सुने जाते हैं,...

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