जगदलपुर। विकास से कोसों दूर नक्सल प्रभावित दरभा ब्लॉक के ग्राम पंचायत गुमड़पाल की कमान एक ऐसा आदिवासी युवक पंडरू राम संभाल रहा है, जो केरल से बीटेक (मैकेनिकल) की डिग्री लेकर लौटा है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले पंडरू को शहर की चकाचौंध रास नहीं आई और उन्होंने अपने गांव को विकसित करने का संकल्प लिया। 2010 में चुनाव लड़कर जनपद सदस्य बने और आदिवासियों का पलायन रोकने की दिशा...
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15 नहीं अब अब सिर्फ सात कॉपी-किताब लेकर स्कूल जाएंगे छात्र
मनोज तिवारी, भोपाल। दिल्ली सरकार की ऑड-इवन (सम-विषम नंबर) व्यवस्था ने स्कूल शिक्षा विभाग को बस्ते का बोझ कम करने का तरीका सुझा दिया है। विभाग अब इसी तर्ज पर योजना बना रहा है। इसके तहत बच्चों से एक दिन में अधिकतम 7 कॉपी-किताब लेकर आने को कहा जाएगा। अभी बच्चों को 7 किताब और 8 कॉपी लेकर स्कूल जाना पड़ता है। फिलहाल यह व्यवस्था सरकारी स्कूलों में लागू की जाएगी।...
More »वक्त के पन्नों पर जो दर्ज कर गये अपनी अमिट छाप
नियम यह है विधाता का / सभी आकर चले जाते / मगर कुछ लोग ऐसे हैं / जो जाकर भी नहीं जाते। न सब धनवान होते हैं / न सब भगवान होते हैं/ दयालु, लोकप्रिय, सतपाल / भले इनसान होते हैं।। ... और ऐसा कोई इनसान जब वक्त के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ कर हमारे बीच से विदा होता है, तो यह हम सबका साझा फर्ज बनता...
More »रोजगारपरक हो शिक्षा प्रणाली-- मोनिका शर्मा
अवसाद और तनाव की सौगात देने वाली हमारी शिक्षा व्यवस्था अब वाकई चिंतनीय हालात पैदा कर रही है। इस बाबत हाल ही में संसद में सरकार द्वारा पेश किये गए आंकड़े डराने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल 8 हजार से ज्यादा छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। इतना ही नहीं, सफलता और आगे बढ़ने की ललक और दबाव इतना है कि मनपसंद नौकरी या पेशा न...
More »मजबूरी ने थमा दी जूठी प्लेट, होटलों व गैराजों में दम तोड़ रहा बचपन
सासाराम (ग्रामीण) : जिन हाथों में कलम होना चाहिए था, उन बच्चों को लाचारी ने हथौड़ा व जुटी प्लेट थमा दी. यही नहीं, कड़ी मेहनत के बावजूद नन्हें हाथों को दो जून की रोटी भी नहीं मिल पाती है. कर्ज के बोझ तले दबे माता-पिता ने इन बच्चों को पढ़ाने के बजाये भुखमरी से निबटने के लिए होटल चलाने वालों के हवाले अपने नन्हें बच्चों की जिंदगी कर देते...
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