इंडियास्पेंड, 16 नवम्बर “घर चलाना मुश्किल हो गया है। महीने में 12-13 दिन ही काम मिलता है। एक समय था जब महीने भर टेनरियां चलती थी। लेकिन पिछले एक-दो सालों में काफी कुछ बदल गया। बराबर काम ना मिलने की वजह से बच्चों की पढ़ाई रुक गई। सरकार की भी तरफ से कोई मदद नही मिल रही। मालिक से पूछो तो वे कहते हैं कि जब टेनरी चलेगी ही नहीं तो...
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पढ़ाई के साथ हुनर भी सीखते हैं आदिवासी बच्चे
बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के ककराना गांव में ऐसा आवासीय स्कूल है, जहां न केवल पलायन करनेवाले आदिवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं बल्कि हुनर भी सीखते हैं। यहां उनकी पढ़ाई भिलाली, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में होती है। वे यहां खेती-किसानी से लेकर कढ़ाई, बुनाई, बागवानी और मोबाइल पर वीडियो बनाना सीखते हैं। अब इस स्कूल का एक भील वॉयस नामक यू ट्यूब चैनल भी चल रहा है। पश्चिमी...
More »‘दिन-रात मेहनत के बाद भी मेरी आमदनी न के बराबर है’
पारी, 20 जुलाई एक सामान्य आकार के पश्मीना शॉल के लिए सूत कातने में फ़हमीदा बानो को एक महीने लग जाते हैं. चांगथांगी बकरियों से मिलने वाले मुलायम और बारीक ऊन को अलग कर उनकी कताई करना कड़ी मेहनत और सफ़ाई का काम है. क़रीब 50 साल की ये कारीगर बताती हैं कि महीने भर की मेहनत के बदले में उन्हें बमुश्किल 1,000 रुपए मिलते हैं. “अगर मैं लगातार काम करूं,...
More »अप्रैल में इतिहास की सबसे भयानक हीटवेव को देखते हुए दक्षिण एशिया को तुरंत क्लाइमेट एक्शन की मांग उठानी चाहिए
द थर्ड पोल, 25 अप्रैल जब हीटवेव यानी प्रचंड लू हमारे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के रास्ते में बाधा बन जाए तो इसका मतलब है कि वक्त आ गया है कि हम सभी क्लाइमेट एक्शन यानी जलवायु कार्रवाई की मांग करें। यह बात मैं एक जलवायु वैज्ञानिक और दो छोटे बच्चों की मां के रूप में लिख रही हूं। मैं उस टीम की एक मेंबर रही हूं जिसने मार्च 2023 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल...
More »ग्राउंड रिपोर्ट: गेहूं के खेतों से खेल रही है आग, पेट का सवाल और सदमे में किसान
जनचौक, 12 अप्रैल उत्तर प्रदेश के गेहूं किसान समय से पहले चढ़े तापमान से प्रभावित फसल और तूफान-बारिश के नुकसान का जख्म अभी भरा भी नहीं था। हर आपदा-विपदा सहकर खेतों में बची फसल की कटाई-मढ़ाई कर घर लाने की जुगत में थे। इसी बीच अब सूबे के जनपदों में हो रही गेहूं के खेतों में अगलगी की घटनाओं से किसान सहम गए हैं। अगलगी से पीड़ित किसानों के अरमान चंद मिनटों...
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