महात्मा गांधी ने जब कहा था, ‘धरती पर सबकी जरूरत भर का सामान है, मगर सबके लालच को पूरा करने भर का नहीं', तब उन्हें आभास भी नहीं रहा होगा कि आने वाले समय में उन्हीं का देश जनसंख्या बढ़ोतरी से संत्रस्त हो जाएगा। आज स्थिति यह है कि तमाम कल्याणकारी योजनाएं उस रूप में जरूरतमंदों और आम जन तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं, जिस रूप में उन्हें...
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कहीं कटाव तो कहीं निगलने को बेताब हैं नदियां, घाघरा में समाई सैकड़ों एकड़ जमीन
सिताबदियारा, सारण. जिले में नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ाने के साथ ही लोगों को यह भय सताने लगता है कि नदियां कहीं तटबंधों को तोड़ कर उनके आशियाने को न तबाह कर दें। हालांकि हर साल सरकार और जिला प्रशासन इस बात का ढिंढोरा जरूर पिटता है कि तैयार पूरी हो गई है। इस बार कहीं से किसी भी तटबंध पर कोई खतरा नहीं है। लेकिन...
More »अब नई टेलीकॉम नीति लाने का वक्त-- राजीव चंद्रशेखर
देश में दूरसंचार के क्षेत्र में सुधार लागू होने का पच्चीसवां साल चल रहा है, जो अगले साल पूरा होगा। आधुनिक भारत के इतिहास में ये सुधार मील का महत्वपूर्ण पत्थर है। 1993 में ही चार प्रमुख महानगरों में निजी कंपनियों को सेल्यूलर टेलीफोनिंग के लाइसेंस दिए गए थे। यह वह समय था जब फोन कनेक्शन की वेटिंग लिस्ट 3-4 साल की होती थी और फोन से जुड़ी शब्दावली में...
More »जी-20 की राह--- रोहित कौशिक
जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में जी-20 का बारहवां शिखर सम्मेलन पिछले हफ्ते, कई तरह के द्वंद्वों का सामना करते हुए, संपन्न हो गया। एक द्वंद्व अमेरिका तथा बाकी सदस्य-देशों के बीच पेरिस जलवायु समझौते को लेकर था। एक दूसरा द्वंद्व रूस और अमेरिका के बीच था, अमेरिका की इस शिकायत की बिना पर, कि रूस ने राष्ट्रपति चुनाव के समय उसकी घरेलू राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश क्यों की।...
More »मोदी का सबसे बड़ा दांव--- एन के सिंह
कल आधी रात को संसद के ‘सेंट्रल हॉल' में आयोजित एक जगमगाते कार्यक्रम में लंबे वक्त से प्रतीक्षित ‘गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स' यानी जीएसटी कानून आखिरकार वजूद में आ गया। प्रतिष्ठित ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बड़ा (टैक्स गैंबल) दांव करार दिया है। जीएसटी के फायदे के बारे में सब जानते हैं। यह आसानी से कारोबार कर सकने की राह में खड़ी तमाम...
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