2009 में जब विश्व आर्थिक मंदी की आग में जल रहा था और इसकी तपिश भारत में भी महसूस की जा रही थी, तब भारत ने तीन किस्तों में करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया था. हम सरकारी अनुदान हड़पने में किसानों और गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दोषी ठहराते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि उद्योग और व्यवसाय जगत इनसे कई...
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भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन
भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...
More »पीडीएस में चहुंओर भ्रष्टाचार - जस्टिस वाधवा समिति
सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय की न्यायमूर्ति (रिटा.) वाधवा की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में पीडीएस में व्याप्त भारी खामियों की तरफ इशारा किया है। समिति का कहना है कि पीडीएस के तहत खाद्यान्न के उपार्जन और वितरण की पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार में गले तक डूबी हुई है और इससे गरीबों को ना के बराबर फायदा हो रहा है। समिति ने पीडीएस व्यवस्था की...
More »इस साल सामान्य रहेगा मानसून
नई दिल्ली। देश में इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान है। मौसम विभाग की इस घोषणा से लाखों किसानों ने राहत की सांस ली है जिन्हें पिछले साल सूखे की गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा था। भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि जून से सितंबर के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून दीर्घकालिक औसत का 98 फीसदी रहने का अनुमान है। दक्षिण-पश्चिम मानसून का दीर्घकालिक औसत 89 सेंटीमीटर माना जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को...
More »हमारी खेती अमेरिका से अच्छी- वंदना शिवा
वंदना शिवा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खेती के सवाल पर लगातार लड़नेवाली लड़ाका हैं. वे इंटरनेशनल फोरम आन ग्लोबलाईजेशन की सदस्य हैं. उनसे एक महत्वपूर्ण बातचीत.विस्फोट डाट कॉम से साभार) दूसरी हरित क्रांति की बात हो रही है. आपकी असहमति और सहमति किसरूप में रेखांकित होती है? मैंनेजब 1984 में हरित क्रांति का विरोध शुरू किया था तो इसके पीछे एक मकसद था। कहा जाताथा कि पंजाब में हरित क्रांति से...
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