बच्चों को किस भाषा में शिक्षा दी जाये- इस सवाल का जवाब देना आसान काम नहीं है. कुछ साल पहले नरेंद्र मोदी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, ने मुझे इस समस्या के लिए अपना समाधान बताया था. मैं कुछ देर में आपसे उनकी बात को साझा करता हूं. मैं इस बात का उल्लेख उन चार खबरों की वजह से कर रहा हूं, जो हाल के दिनों...
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ऐसे तो स्वस्थ-स्वच्छ नहीं बनेगा देश- संजय गुप्त
स्थानीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता की बीमारी ने ऐसी स्थितियां उत्पन्न् कर दी हैं कि हमारे ज्यादातर शहर गंदगी के ठिकानों में तब्दील होकर रह गए हैं। देश में साफ-सफाई की लचर स्थिति तब और अधिक हैरान करने वाली है जब स्वच्छता उपकर के नाम पर नागरिकों से अलग से टैक्स भी वसूला जा रहा है। भारत को स्वच्छ व स्वस्थ बनाने के लिए सरकारों को इस ओर...
More »शिक्षक, शिक्षा और समाज-- चंद्रकांता शर्मा
शिक्षक का दर्जा समाज में बड़ा ही सम्माननीय तथा उच्च माना गया है। वह नैतिकता व आदर्शों का प्रेरणास्रोत तथा जीवन-मूल्यों के सतत नियामक रूप में भी जाना गया है। शिक्षक के रूप में एक विनयशील, अनुशासनबद्ध और आदर्श जीवन पर चलने वाले व्यक्ति को मान्य किया गया है तथा माना गया है कि उस पर समाज, राष्ट्र तथा मानव जीवन की सभी नैतिक जिम्मेदारियां हैं। समय के साथ ‘गुरु'...
More »#RaghuramRajan: मिडल क्लास का 'गुड मैन' जो राजनीति से नहीं बच पाया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में बतौर गर्वनर तीन साल तक कार्यरत रहने के बाद आज रघुराम राजन विदा हो रहे हैं। आज आरबीआई में उनका आखिरी दिन है। तीन साल का उनका ये सफर बहुत ही विवादास्पद रहा। एक ओर जहां उन्हें राजनीति का शिकार होने पड़ा और आलोचनाएं झेलनी पड़ी। वहीं दूसरी ओर आर्थिक विशेषज्ञों ने उनकी जमकर तारीफ की। अगर भारत के जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो...
More »सरकारी स्कूलों में शिक्षा की खराब गुणवत्ता के लिए सिर्फ शिक्षकों को दोष देना उचित नहीं
देश के शिक्षा-संबंधी सभी अध्ययन और सर्वेक्षण इंगित करते हैं कि छात्रों का स्तर अपेक्षा से नीचे है. इस स्थिति के लिए आम तौर पर शिक्षकों को दोषी ठहरा दिया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि हमारे विद्यालयों का इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था बेहद लचर है. देश में एक लाख से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है. अधिकतर विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात...
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