पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के 16 ब्लॉक डेवलेपमेंट अधिकारियों (बीडीओ) में से 12 आरक्षित वर्ग (एससी और ओबीसी) से आते हैं। गौरतलब है कि इनमें से पांच एक ही जाति से हैं, और केवल चार सामान्य वर्ग से हैं। इसी तरह, यहां के 18 थानेदारों (एसएचओ) में से नौ सामान्य वर्ग और नौ आरक्षित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। मगर हैरत की बात है कि आरक्षित वर्ग के...
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न बदलें महिला हितैषी कानून- सुभाषिनी अली सहगल
कभी-कभी बड़ी सुर्खियों के पीछे महत्वपूर्ण खबरें छिप जाती हैं। कुछ दिन पहले एक खबर छपी थी कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया है कि फौजदारी कानून की धारा 498-ए के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर आरोपी या आरोपियों को गिरफ्तार न करके यह कोशिश की जाएगी कि दोनों पक्षों के बीच समझौता किया जाए। इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि इस...
More »अब यूपी के किसान ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने लगायी फांसी
बाराबंकी : जिले में फसल खराब होने से परेशान, कर्ज के बोझ से दबे एक किसान ने कचहरी के मुख्य द्वार के सामने पेड पर फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. पुलिस ने मामला दर्ज कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्र ने यहां बताया कि हैदरगढ के दतौली गांव के निवासी 35 वर्षीय किसान आशाराम ने तडके करीब पांच बजे कचहरी के मुख्य द्वार के सामने स्थित...
More »कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा
सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...
More »बात निकली है तो दूर तलक जाएगी - भवदीप कांग
गजेंद्र सिंह की मौत का राजनीतिकरण इस पूरे प्रकरण का सबसे दु:खद पहलू था। हो सकता है उसकी आत्महत्या 'जेनुइन" हो। यह भी हो सकता है, जैसा दिल्ली पुलिस का मानना है कि उसकी आत्महत्या महज एक दुर्घटना हो, एक नाटकीय प्रसंग। लेकिन गजेंद्र की मौत इन मायनों में अपने लक्ष्य को अर्जित करने में जरूर कामयाब रही कि उसने किसानों की दुर्गति की ओर पूरे देश का ध्यान आकृष्ट...
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